प्रदेश के खेल पुरस्कारों के लिए जिस जूरी को प्रस्तावित किया था उसके नाम पर विवाद होने के बाद अंतत: खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी की पहल पर खेल विभाग ने एक निष्पक्ष जूरी बनाई और इस जूरी से खेल संघों के पदाधिकारियों को अलग रखा गया। अब इस जूरी ने खेल संचालक जीपी सिंह की अध्यक्षता में खेल पुरस्कारों के लिए नाम भी तय कर दिए हैं। पहली बार खेल संचालनालय में बैठक हुई और बैठक के बाद पुरस्कारों के लिए चुन गए नामों को अनुमोदन के लिए मंत्रालय भेज दिया गया है।
प्रदेश के खेल विभाग द्वारा हर साल २९ अगस्त को दिए जाने वाले राज्य के पुरस्कारों के लिए एक जूरी बनती है। इस बार के पुरस्कारों के लिए भी एक बार फिर से पुरानी जूरी को ही बनाने का फैसला कर लिया गया था और इस सूची को अनुमोदन के लिए मंत्रालय भेजा गया था। खेल संघों के पदाधिकारियों ने ही इस बात को माना था कि जूरी में निष्पक्ष सदस्य रखें जाए जिनका कम से कम ऐसे खेलों ेसे नाता न हो जिन खेलों के खिलाड़ी पुरस्कारों के पात्र हों।
इस खबर को खेल मंत्री लता उसेंडी ने गंभीरता से लिया और खेल मंत्रालय के साथ खेल संचालनालय से चर्चा करके उनको निर्देश दिए गए कि जूरी बिलकुल निष्पक्ष होनी चाहिए। खेल मंत्री के निर्देश के बाद पहले यह तय किया गया कि खेल सचिव की अध्यक्षता में जूरी बनाई जाए, पर बाद में खेल सचिव की अनुमति से पहली बार खेल संचालक की अध्यक्षता में एक जूरी बनाई गई। इस जूरी से पूरी तरह से खेल संघों के पदाधिकारियों को अलग रखा गया। इस जूरी में जहां हॉकी के पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी जशपुर के विसेंट लकड़ा को रखा गया, वहीं भारतीय खेल प्राधिकरण के एक प्रतिनिधि के रूप में राजनांदगांव के साई सेंटर के राजेश्वर राव, नेहरू युवा केन्द्र के प्रतिनिधि के रूप में उमाकांत पांडे, खेल विभूति से सम्मानित लक्ष्मीकांत पांडे के साथ यूनीसेफ के राज्य समन्वयक और सामान्य प्रशासन विभाग के एक प्रतिनिधि को रखा गया।
पहली बार संचालनालय में हुई बैठक
प्रदेश में अब तक परंपरा रही है कि जूरी की बैठक मंत्रालय में होती थी, लेकिन पहली बार खेल संचालक की अध्यक्षता में बनी जूरी की बैठक शनिवार को खेल संचालनालय में हुई। इस बैठक में कम समय में दी गई सूचना के बाद भी सभी सदस्य आए और बैठक में शामिल हुए। बैठक में नियमों के मुताबिक पुरस्कारों के चयन के लिए हुई लंबी चर्चा के बाद अंत में पुरस्कारों के लिए नाम तय करके खेल मंत्रालय को शाम को ही भेज दिए गए। जिस तरह से निष्पक्ष जूरी बनाई गई है उसके बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि पुरस्कारों का चयन भी पूरी तरह से निष्पक्ष हुआ है। जूरी में जिन सदस्यों को शामिल किया गया था उसको पहली बार ऐसा मौका दिया गया। इसके पहले तक खेल संघों के पदाधिकारियों को रखा जाता था जो सेटिंग करके अपने खिलाडिय़ों को पुरस्कार दिलाने का काम करते थे। जूरी में शामिल खेलों से जुड़े लोग इस बात से बहुत खुश लगे कि पहली बार उनको खेल विभाग ने ससम्मान बुलाया और इस लायक समझा कि वे पुरस्कारों का चयन करने वाली जूरी में शामिल हों। जूरी के कुछ सदस्यों ने पूछने पर गोपनीयता की वजह से इस बात का खुलासा तो नहीं किया कि किनको पुरस्कारों के लिए चुना गया है, पर उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी पात्र खिलाड़ी के साथ अन्याय नहीं हुआ है। खेल संचालक जीपी सिंह ने भी पूछने पर कहा कि जूरी के सामने सारे पात्र खिलाडिय़ों और नियमों को रखा गया था, हमारा ऐसा मानना है कि जो भी निर्णय हुआ है वह निष्पक्ष हुआ है। जब सूची जारी होगी तो इसमें न तो कोई विवाद जैसी स्थिति रहेगी और न ही कोई पात्र खिलाड़ी निराश होगा।
1 टिप्पणी:
आपका आलेख सार्थक हो!
इसी कामना के साथ-
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