शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

इंडोर का है टोटा


विष्णु श्रीवास्तव के शोध में भी खुलासा
प्रदेश में इंडोर खेलों के लिए सुविधाओं का अभाव है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। ओलंपिक में शामिल कुश्ती, स्कवैश, तीरंदाजी और निशानेबाजी में इंडोर की सुविधा हैं ही नहीं। इस बात का खुलासा वरिष्ठ क्रीड़ा अधिकारी विष्णु श्रीवास्तव द्वारा किए गए शोध में किया गया है। उनको सर्वे ऑफ स्पोट्र्स फेसीलिटींस एंड स्पोट्र्स एचीवमेंट ऑफ प्राइवेट एवं पब्लिक सेंटर अंडरटेकिंग ऑफ छत्तीसगढ़ स्टेट पर रविशंकर विवि से पीचीडी की उपाधि दी है।


श्री श्रीवास्तव ने अपने शोध के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उनका मुख्य मकसद प्रदेश में निजी और पब्लिक सेक्टर में खेलों की क्या-क्या सुविधाएं है इसका अध्ययन करना था। उन्होंने बताया कि उनके अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ओलंपिक खेलों में शामिल स्कवैश, कुश्ती, तीरंदाजी और निशानेबाजी में भी इंडोर की सुविधा नहीं है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि प्रदेश में इन खेलों में ही नहीं और कई खेलों में इंडोर की सुविधाएं नहीं हैं। हालांकि दूसरे खेलों पर शोध में काम नहीं किया गया है, पर आज ज्यादातर खेल इंडोर में खेले जाते हैं। वालीबॉल, बास्केटबॉल, हैंडबॉल, नेटबाल से लेकर कई खेल हैं जो इंडोर में होते हैं, पर इन खेलों की भी यहां पर सुविधाएं नहीं हैं।


श्री श्रीवास्तव ने बताया कि निजी क्षेत्र में जिंदल के अलावा एनटीपीसी और वीआईपी क्लब के साथ पब्लिक सेक्टर में मैदानों के नाम से भिलाई में सबसे ज्यादा सुविधाएं हैं। उन्होंने अपने शोध में इस बात का भी उल्लेख किया है कि मैदानों के नियमित रखरखाव का भी अभाव है। इसके लिए स्टाफ की कमी है। खेल संघों के बारे में उन्होंने पाया है कि सभी कम से कम कोचिंग की व्यवस्था करते हैं। उन्होंने शोध में इस बात का भी उल्लेख किया है कि महिला खिलाडिय़ों के लिए अलग से योजनाएँ बनानी चाहिए।

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