कबड्डी को ओलंपिक में स्थान मिलना तभी संभव होगा जब इस खेल को ५० देशों में खेला जाएगा। अभी विश्व के ३१ देशों में कबड्डी खेला जाता है। हमारा फेडरेशन इस खेल को ज्यादा से ज्यादा देशों में प्रारंभ करवाने के प्रयास में है ताकि कबड्डी को ओलंपिक में स्थान मिल सके।
ये बातें यहां पर खेल पत्रकारों से चर्चा करते हुए अंतरराष्ट्रीय कबड्डी फेडरेशन के साथ एशिया और भारतीय कबड्डी संघ के अध्यक्ष जर्नादन सिंह गहलोत ने कहीं। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि कबड्डी का ओलंपिक में शामिल होना इतना आसान नहीं है। पूछने पर वे बताते हैं कि ओलंपिक में २०० से ज्यादा देश भाग लेते हैं। किसी भी खेल को ओलंपिक में शामिल करने के लिए यह जरूरी है कि उस खेल को कम से कम ५० देश खेलते हों। कबड्डी कितने देशों में खेला जाता है? के सवाल पर वे बताते हैं कि अभी यह खेल ३१ देशों में खेला जाता है। इन देशों में एशिया के १८ और यूरोप के ९ देश भी शामिल हैं। वे बताते हैं कि द।अफ्रीका के किसी देश में अभी यह खेल नहीं खेला जाता है। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन इस प्रयास में है कि इस खेल को और देशों तक पहुंचाया जाए। इसके लिए जो भी देश फेडरेशन से मदद चाहेगे उनको मदद की जाएगी।
विश्व में भारत नंबर वन
एक सवाल के जवाब में श्री गहलोत ने बताया कि एशिया में ही नहीं विश्व में भी भारत नंबर वन पर है। १९९० में जब से यह खेल एशियाड में शामिल हुआ है, इसमें स्वर्ण पर भारत का ही कब्जा रहा है। इसी के साथ अभी जो दो अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाएं हुईं हैं उनमें भी भारत चैंपियन रहा है। ये स्पर्धा इंडोर में हुई हैं। पहली स्पर्धा मकाऊ और दूसरी वियतनाम में हुई हैं। पूछने पर वे बताते हैं कि भारत के साथ आज एशिया में पाकिस्तान, जापान, चाइना, ईरान और बंगलादेश की टीमें भी अच्छी हैं। आज भारत को इनसे कड़ी टक्कर मिलने लगी है।
महिला कबड्डी भी एशियाड में
श्री गहलोत ने एक सवाल के जवाब में बताया कि इस साल आनजाऊ में होने वाले एशियाड में पहली बार महिला कबड्डी को भी शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि एशियाड में पहली बार पुरुष कबड्डी को १९९० में शामिल किया गया था। उन्होंने पूछने पर बताया कि महिला वर्ग में भी एशियाड में भारतीय टीम के जीतने की संभावना है।
अब किसी राज्य का वर्चस्व नहीं
भारत में कबड्डी में किस राज्य का दबदबा है के सवाल पर वे कहते हैं कि अब ऐसा कुछ नहीं है कि एक राज्य की टीम लगातार जीत सके। आज इस खेल का देश में इतना ज्यादा विस्तार हो गया है कि कोई भी राज्य विजेता बन जाता है। उन्होंने छत्तीसगढ़ का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां की जोनल राष्ट्रीय स्पर्धा में छत्तीसगढ़ की महिला टीम पहली बार फाइनल में पहुंची है और उसे सुपर नेशनल में खेलने की पात्रता मिली है। यह टीम आगे और भी कमाल कर सकती है। छत्तीसगढ़ के आयोजन के बारे में उन्होंने कहा कि यहां पर पहली बार स्पर्धा हुई है और सभी व्यवस्थाओं से फेडरेशन खुश है। उन्होंने पूछने पर बताया कि फेडरेशन ने अब तो बीच नेशनल स्पर्धा का भी आयोजन चार साल पहले प्रारंभ कर दिया है। इसको प्रारंभ करने से ज्यादा से ज्यादा देश इस खेल से जुड़ेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि जब से देश में राष्ट्रीय स्पर्धा को चार समूहों में बांटकर आयोजन किया जा रहा है ज्यादा प्रतिभाएं सामने आने लगीं हैं। उन्होंने बताया कि समूहों के मुकाबलों के बाद एक सुपर नेशनल स्पर्धा होती है। इसका आयोजन पिछले साल से किया जा रहा है। चार समूहों में देश की दिग्गज टीमों को अलग-अलग समूहों में रखा गया है ताकि देश की सभी टीमों को ऐेसी टीमों के साथ खेलने का मौका मिला। सेंट्रल जोन के समूह में बीएसएनएल की टीम है तो साऊथ के समूह में रेलवे और सर्विसेज की टीमों को रखा गया है। उन्होंने बताया कि अभी जूनियर वर्ग में समूह की योजना लागू नहीं की गई है।
1 टिप्पणी:
लेकिन फ़ायदा कया, चार दिन बाद इस लाइन में भी सबसे पीछे खड़े मिलेंगे हम.
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