सोमवार, 5 जुलाई 2010

पदक की राह कठिन

राष्ट्रीय जूनियर बालिका फुटबॉल में पदक की उम्मीद के साथ अभ्यास में जुटी प्रदेश की टीम को पूल के कारण तगड़ा झटका लगा है। छत्तीसगढ़ को मणिपुर और दिल्ली के साथ पूल में रखा है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के लिए अब राह कठिन हो गई है क्योंकि दोनों टीमों से जीतना संभव नहीं है। ऐसे में टीम ने रणनीति बनाई गई है कि मणिपुर को ड्रा पर रोकने के बाद दिल्ली को ज्यादा गोलों से परास्त कर क्वार्टर फाइनल में स्थान बनाने का काम किया जाए। पूल की वजह से खिलाडिय़ों में निराशा है फिर भी खिलाड़ी कहती हैं कि हम अपनी तरफ से पहले क्वार्टर फाइनल में और फिर पदक जीतने का प्रयास करेंगी।
चंडीगढ़ में १५ जुलाई से होने वाली राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने जाने वाली प्रदेश टीम की २३ खिलाड़ी इस समय सप्रे स्कूल में लगातार अभ्यास कर रही है। इन खिलाडिय़ों में जिसमें रायपुर की ज्योति पांडे, शालिनी यादव, सुमन वर्मा, दीक्षा वर्मा, सरिता यादव, पूनम दीप, दिव्या दीप, देवयंती निषाद, प्रतिभा चन्द्राकर, कल्याणी महापात्र, नेहा निषाद और जागेश्वरी, कांकेर की बालेश्वरी, खिलेश्वरी, कोरबा की सुमन राज, रितु भगत बस्तर की बुलंदी ठाकुर के साथ दुर्ग की अर्चना बाघो, पूजा सिंहा, सरिता शिंदे और खिलेश्वरी का कहना है कि उनकी टीम जिस तरह के पिछले साल कटक में तीसरे स्थान पर रही थी उससे इस बार उम्मीद थी कि हमारी टीम स्वर्ण पदक भी जीत सकती है। हमारा अभ्यास स्वर्ण जीतने के लिए चल रहा है, लेकिन जिस तरह का पूल हमारे सामने आया है उससे हमें निराशा हुई है। खिलाडिय़ों ने बताया कि उनके पूल में मणिपुर और दिल्ली को रखा गया है। पहला ही मैच पिछले साल की उपविजेता मणिपुर के साथ है। मणिपुर की टीम पिछले एक दशक से चैंपियन रही है। ऐसे में इस टीम के खिलाफ हमारी रणनीति सुरक्षा की होगी। हम जानते हैं कि मणिपुर से जीतना सरल नहीं है ऐसे में हमारा ऐसा प्रयास रहेगा कि उसे गोल करने से रोका जाए। अगर हम मणिपुर को ड्रा पर रोकने के बाद दिल्ली से ज्यादा गोलों से जीत जाते हैं तो एक संभावना है कि हम पूल में शीर्ष पर आकर क्वार्टर फाइनल में स्थान बना सकते हैं। खिलाड़ी कहती हैं कि अभी हमारे पास १० दिनों का समय और है तैयारी करने के लिए इसमें हम लोग मेहनत करके पूरा प्रयास करेंगे कि हमारी टीम अच्छा प्रदर्शन कर सके। एक सवाल के जवाब में खिलाडिय़ों ने कहा कि बाहर से कोच बुलाने की जरूरत नहीं है हमारी कोच सरिता कुजूर के प्रशिक्षण में इतना दम है टीम अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। इनके प्रशिक्षण में ही टीम पिछले बार तीसरे स्थान पर रही थी।
खिलाडिय़ों की कमी से परेशानी
टीम की कोच सरिता कुजूर का कहना है कि टीम में जिस तरह से पहले दिन दुर्ग और जशपुर की खिलाड़ी नहीं आईं उसके कारण परेशानी हो रही है। उन्होंने बताया कि बाद में दुर्ग की तो चार खिलाड़ी आ गईं लेकिन एक रूपाली नहीं आई है। रूपाली को डिफेंस करने में महारथ है। इसी तरह से जशपुर की रानी तनुजा नहीं आई। वह सबसे अच्छी फारवर्ड है। बकौल सरिता टीम में इन खिलाडिय़ों की कमी खल रही है, इसी के साथ शिविर के लिए २५ खिलाडिय़ों का ही चयन किया गया था। शिविर के लिए कम से कम ३० खिलाडिय़ों का चयन होना चाहिए। यह बात तय है कि शिविर में कुछ खिलाड़ी घायल हो जाती हंै जिनका खेलना संभव नहीं होता है, ऐसे में ज्यादा खिलाड़ी रहने से विकल्प खुला रहता है।
सही रणनीति से खेले तो जीतेंगे
शिविर के प्रबंधक और फुटबॉल के कोच मुश्ताक अली प्रधान का कहना है कि अगर हमारी टीम सही रणनीति से खेली जीत मिलेगी। उन्होंने बताया कि पांच साल पहले ऐसी ही स्थिति संतोष ट्रॉफी में आई थी तब छत्तीसगढ़ की टीम के लिए मैंने कोच होने के नाते यह रणनीति बनाई थी कि मणिपुर को ड्रा पर रोका जाए और हमारी टीम ने ऐसा करके मणिपुर को पूल के बाहर करवा दिया था। ठीक उसी रणनीति की अभी जरूरत है जिस पर अमल करने का काम कोच सरिता कुजूर कर रही है। उन्होंंने पूल के बारे में बताया कि भारतीय फुटबॉल फेडरेशन का नियम है कि पिछले साल सेमीफाइनल में खेलने वाली टीमों को ३-३ टीमों के पूल में रखा जाता है। उन्होंने बताया कि मणिपुर की टीम पिछले साल की उपविजेता है ऐसे में तीसरे स्थान पर रहने वाली छत्तीसगढ़ का मैच उससे है। उन्होंने कहा कि पूल ठीक बना है उसमें कही कोई गड़बड़ी वाली बात नहीं है। मुश्ताक कहते हैं कि मणिपुर को ड्रा पर रोकने के बाद दिल्ली से ज्यादा गोलों से जीतकर क्वार्टर फाइनल में पहुंचा जा सकता है।

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