रविवार, 11 जुलाई 2010

सीख लें कुछ गुर तो मिले जीत के सुर

सप्रे स्कूल के मैदान में शाम के समय दो दर्जन बालिका खिलाड़ी लाइन से खड़ी हैं और बड़े ही ध्यान से वह सब सुन रही हैं जो उनकी कोच सरिता कुजूर उनको बना रही है। खिलाडिय़ों को मालूम है कि उनको खेल के जो गुर बताए जा रहे हैं, वहीं राष्ट्रीय स्पर्धा में काम आने वाले हैं। ये गुर काम करेंगे तभी उनको जीत के सूर सुनने का मौका मिलेगा।
यह एक दिन की बात नहीं है यह सिलसिला यहां पर २५ जून से चल रहा है और यह सिलसिला अभी १२ जुलाई तक चलना है। इसके बाद ही यहां से टीम चंडीगढ़ के लिए रवाना होगी जहां पर राष्ट्रीय स्पर्धा होनी है। राष्ट्रीय स्पर्धा में इस बार छत्तीसगढ़ को बड़ा ही कठिन पूल मिला है। उनके पूल में पिछले साल की उपविजेता और एक दशक से चैंपियन रहने वाली मणिपुर है। छत्तीसगढ़ का पहला ही मैच मणिपुर से है। ऐसे में अपनी खिलाडिय़ों को एनआईएस कोच सरिता कुजूर इसके लिए तैयार कर रही हैं कि कम से कम मणिपुर से टीम हारे न और अपनी सुरक्षा करते हुए उसे कम से कम ड्रा पर रोकने में कामयाब हो जाए ताकि अगले मैच में दिल्ली को ज्यादा गोलों से मात देकर छत्तीसगढ़ की टीम क्वार्टर फाइनल में स्थान बना सके। हालांकि यह राह उतनी आसान नहीं है, फिर भी टीम को इसी रणनीति के तहत तैयार किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ की टीम ने जिस तरह का प्रदर्शन पिछले साल किया था और टीम तीसरे स्थान पर आई थी, उससे टीम की कोच को उम्मीद है कि अगर खिलाडिय़ों ने मेहनत की और सब कुछ ठीक रहा तो मणिपुर को ड्रा पर रोका जा सकता है। यह हो गया तो जरूर इससे टीम की खिलाडिय़ों का मनोबल बढ़ेगा और फिर दिल्ली से जीतने के लिए टीम की खिलाड़ी कोई कसर नहीं छोड़ेगी। खिलाडिय़ों को मालूम है कि उनको किस रणनीति से खेलना है।

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