गुरुवार, 29 जुलाई 2010

खेलों से जुड़ा होना चाहिए सचिव

प्रदेश ओलंपिक संघ की कमान मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के हाथों में आने के बाद अब प्रदेश की खेल बिरादरी में सचिव को लेकर चर्चा होने लगी है। ज्यादातर खेल संघों के पदाधिकारियों का एक स्वर में मानना है कि सचिव तो कम से कम खेलों का जानकार होना चाहिए। खेल संघों के पदाधिकारी किसी आईएएस या आईपीएस को सचिव के रूप में देखना नहीं चाहते हैं।
प्रदेश ओलंपिक संघ की पुरानी कार्यकारिणी ने अपना इस्तीफा देकर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को 22 जुलाई को अध्यक्ष बनाने के साथ अब नई कार्याकारिणी बनाने का जिम्मा भी उनको दिया है। ऐसे में जबकि नई कार्यकारिणी का जिम्मा मुख्यमंत्री के पास है तो सारे खेल संघों के पदाधिकारी ऐसा सोचते हैं कि सचिव का पद किसी भी खेल संघ के जुड़े अध्यक्ष या सचिव को देना ज्यादा उपयुक्त रहेगा। इधर जिस तरह से सचिव पद के लिए आईएएस और आईपीएस के बनने की खबरें आ रही हैं, उससे खेल संघों के पदाधिकारियों में बहुत बैचेनी है। बैचनी इस कारण है कि सभी का एक स्वर में ऐसा मानना है कि अगर किसी आईएएस या आईपीएस को सचिव बना दिया गया तो उन तक पहुंचना हर खेल संघ के पदाधिकारी के बस में नहीं होगा। ऐसे में खेल संघों के साथ प्रदेश के खिलाड़ियों को परेशानी बढ़ जाएगी।
खेल संघों के पदाधिकारी कहते हैं कि मुख्यमंत्री को खेलों से जुड़े किसी भी पदाधिकारी को यह जिम्मा देना चाहिए। खेल संघों से जुड़े लोग यह भी कहते हैं कि सचिव ऐसे व्यक्ति को ेबनाया जाना चाहिए जिसमें सभी खेल संघों के लोगों को एक साथ लेकर चलने की क्षमता होने के साथ इस बात में भी सक्षम होना चाहिए कि वह रायपुर और भिलाई के खेल संघों के बीच तालमेल बनाने में सक्षम हो। पूर्व सचिव बशीर अहमद खान की भिलाई के खेल संघों के पदाधिकारियों की तो जमती थी, लेकिन रायपुर के खेल संघों के साथ उनकी पटरी नहीं बैठ पा रही थी, इसी के साथ उनका संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ.अनिल वर्मा के साथ भी विवाद था। खेल संघों के पदाधिकारी चाहते हैं कि अब किसी भी साफ छवि वाले को ही सचिव पद की कमान सौंपनी चाहिए। ऐसी साफ छवि वाले कई खेल संघों में मौजूद हंै जिनको सचिव के लायक माना जा रहा है। इधर इस बात की भी चर्चा है कि कुछ आईएएस और आईपीएस इस जुगत में है कि उनको संघ का महासचिव बना दिया जाए। इनका ऐसा मानना है कि मुख्यमंत्री से कहकर एक महासचिव का पद किसी आईएएस या आईपीएस को दिलाया जाए और एक सचिव का पद बनाकर उसे किसी खेल संघ के पदाधिकारी के हवाले करवाया जाए। लेकिन खेलों से जुड़े लोग चाहते हैं कि संघ में पूर्व में तरह एक ही सचिव का पद हो जिसे खेलों के जानकार को दिया जाए। अब यह तो मुख्यमंत्री पर निर्भर है कि वे क्या निर्णय लेते हैं। उनके हर निर्णय को मानने की बात पहले ही ओलंपिक संघ के सदस्यों के साथ सभी खेल संघों के पदाधिकारी कह चुके हैं। इधर इस बात को लेकर भी जहां चर्चा है कि कार्यकारिणी कब तय होगी, वहीं कुछ आईएएस और आईपीएस के साथ कई खेल संघों के पदाधिकारी अभी से इस जुगाड़ में लग गए हैं कि उनको भी मुख्यमंत्री की टीम में स्थान मिल जाए। अब मुख्यमंत्री की नजरें इनायत किन पर होंगी यह तो बाद में मालूम होगा।

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