बुधवार, 7 जुलाई 2010

राष्ट्रीय खेलों को लगे पर

३७वें राष्ट्रीय खेलों में तैयारी में जुटे छत्तीसगढ़ के खेल विभाग के साथ पूरी खेल बिरादरी के लिए आज का दिन बड़ी खुशी का दिन है। आज राष्ट्रीय खेल सचिवालय का पंजीयन हो गया है। इसके पंजीयन के साथ ही अब यह बात तय हो गई है कि राष्ट्रीय खेलों के लिए काम तेजी से प्रारंभ हो जाएगा और प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की घोषणा के अनुरुप ही राष्ट्रीय खेल जहां समय पर होने की दिशा में काम होगा, वहीं इसको ऐतिहासिक बनाने के भी प्रयास प्रारंभ हो जाएंगे।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की मंशा के अनुरुप ही प्रदेश की खेलमंत्री लता उसेंडी ने छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी दिलाने का काम किया है। छत्तीसगढ़ के लिए यह बड़ी उपलब्धि की बात है कि मेजबानी मिलने के महज छह माह के अंदर ही राष्ट्रीय खेल सचिवालय का पंजीयन हो गया है। यह इसलिए संभव हुआ है क्योंकि राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिलने की बात सामने आते ही खेल विभाग ने खेल सचिवालय के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेज दिया था। हालांकि इस प्रस्ताव को लेकर उस समय एक बार विवाद की स्थिति आ गई थी जब प्रदेश ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने खुले रूप में खेल संचालक जीपी सिंह पर इस बात का आरोप लगाया था कि उन्होंने नियमों के विपरीत खेल सचिवालय का प्रस्ताव होस्ट सिटी कांट्रेक्ट के पहले भेज दिया था। इस मामले में तब खेल संचालक ने खुलासा करते हुए कहा था कि खेल सचिवालय का मामला सरकार का अपना अदरूनी मामला है इसका होस्ट सिटी कांट्रेक्ट से कोई लेना-देना नहीं है।
बहरहाल आज जबकि खेल सचिवालय का पंजीयन हो गया तो यह बात तय हो गई है कि वास्तव में प्रदेश सरकार राष्ट्रीय खेलों के प्रति कितनी गंभीर है। जब मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह ने दिल्ली में होस्ट सिटी कांट्रेक्ट के समय यह कहा था कि छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय खेल समय पर ही नहीं होंगे बल्कि ऐतिहासिक भी होंगे तो सभी का ऐसा मानना था कि यह कैसे संभव होगा। आज तक किसी भी राज्य में राष्ट्रीय खेल समय पर नहीं हो सके हैं। लेकिन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की घोषणा के अनुरुप ही प्रदेश की खेलमंत्री लता उसेंडी के मार्गदर्शन में खेल विभाग राष्ट्रीय खेलों की तैयारी में जुटा हुआ है। अब जबकि खेल सचिवालय भी तय हो गया है तो यह बात समङा आने लगी है कि वास्तव में छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय खेल समय पर हो सकते हैं। अब जरूर खेल सचिवालय के बनने के बाद राष्ट्रीय खेलों की तैयारी में रफ्तार आएगी। राष्ट्रीय खेलों के लिए खेल सचिवालय कितना अहम होता है इसको इस बात से समझा जा सकता है कि राष्ट्रीय खेलों के लिए हर तरह का निर्णय करने का अधिकार खेल सचिवालय को ही होता है। इसके बने बिना राष्ट्रीय खेलों की दिशा में कोई भी कदम बढ़ाना संभव नहीं था।
अब बनेगा डीपीआर
राष्ट्रीय खेलों का खाका कैसा होगा इसकी तैयारी भी खेल विभाग में चल रही है। इसके लिए एक डीपीआर बनना है। डीपीआर यानी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट। इस रिपोर्ट में ही यह बताया जाएगा कि राष्ट्रीय खेलों के लिए कितने स्टेडियम बनेंगे खेल गांव में क्या-क्या होगा। कौन-कौन से खेल कहां हो सकते हैं। इस रिपोर्ट के लिए प्रदेश सरकार ने पहले ही बजट दे दिया है। राष्ट्रीय खेलों की तैयारी के लिए पांच करोड़ का प्रारंभिक बजट दे दिया गया है। अब खेल सचिवालय से अनुमोदन लेकर डीपीआर की तैयारी की जाएगी।
खेल गांव के लिए मिल गई है जमीन
राष्ट्रीय खेलों के लिए जो खेल गांव बनना है उसके लिए नई राजधानी में २०० एकड़ जमीन भी दे दी गई है। यह खेल गांव कैसा होगा यह भी डीपीआर में तय होगा। लेकिन इतना जरूर है कि छत्तीसगढ़ में बनने वाले खेल गांव के लिए जो परिकल्पना की जा रही है उसमें यह है कि यह ऐसा बनाया जाएगा जिसे देश भर से आने वाले खिलाड़ी याद रखेंगे।

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