मंगलवार, 6 जुलाई 2010

गांव के हर खेल के खिलाडिय़ों को तराशे

आपके गांव में जिस भी खेल के खिलाड़ी हैं उनको तराशने का काम आपको करना है। ऐसा नहीं न हो कि आप किसी खेल के खिलाड़ी को यह सोचकर छोड़ दें कि यह खेल को पायका में शामिल नहीं है। जो खेल पायका में शामिल नहीं है उन खेलों के खिलाडिय़ों को सीधे जिला स्तर की स्पर्धाओं में मौका दिलाया जाएगा।
ये बातें गरियाबंद में क्रीड़ाश्री की बैठक में वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने कहीं। यहां पर पांच ब्लाकों के क्रीड़ाश्री आए थे। इस बैठक का मकसद सभी क्रीड़ाश्री को जहां यह बताना है कि पायका से जुड़े खेलों के साथ अन्य ऐसे खेलों पर भी ध्यान देना है जिन खेलों के खिलाड़ी गांवों से निकल सकते हैं। गांवों से तालाब में तैराने वाले तैराकी के खिलाड़ी बन सकते हैं तो गांवों में कैरम खेलने वाले खिलाड़ी इस खेल से जुड़ सकते हैं। इसी तरह से मार्शल आर्ट के भी खिलाड़ी गांवों से निकल सकते हैं। इन सब खेलों के साथ अगर किसी भी गांव में ऐसे खेलों के खिलाड़ी हैं जो ग्रामीण स्तर पायका में नहीं है तो भी ऐसे खेलों के खिलाडिय़ों की पहचान करने के साथ इनको तराशना है। ऐसे खिलाडिय़ों को खेल संघों की जिला स्पर्धा में सीधे शामिल करवाने के प्रयास होंगे।
श्री डेकाटे ने क्रीड़ाश्री से कहा कि वे अपने गांवों के खिलाडिय़ों का पंजीयन करने के साथ अपने आस-पास के गांवों के खिलाडिय़ों का भी पंजीयन कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जिन गांवों को अभी पायका से जोड़ा नहीं गया है, लेकिन वहां अच्छे खिलाड़ी हैं तो ऐसे खिलाडिय़ों की प्रतिभाओं को सामने लाने के लिए यह जरूरी है कि उनको मौका दिया जाए। उन्होंने कहा कि ेऐसे गांवों के खिलाडिय़ों को वापस उन गांवों से जोड़ दिया जाएगा जब उन गांवों को पायका से जोड़ा जाएगा। यहां यह बताना लीजिमी है कि पायका के अंतर्गत जहां प्रदेश में अभी ९८२ गांवों को पहले चरण में जोड़ा गया है, वहीं रायपुर जिले के १२१ गांवों को इसमें शमिल किया गया है। हर साल दस प्रतिशत गांवों को पायका से जोडऩा है। दो साल की योजना बनाकर केन्द्र सरकार के पास भेज दी गई है।

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