शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

राज्य स्पर्धाएं फिर खेल संघों के हवाले होंगी

प्रदेश का खेल विभाग अब एक बार फिर से राज्य स्पर्धाओं का आयोजन करने का जिम्मा खेल संघों को देने वाला है। खेल विभाग आयोजनों को लेकर लंबे समय से परेशानी में है, लेकिन वह इस दिशा में कोई पहल नहीं कर पा रहा था, लेकिन अब यह तय हो गया है कि अगले सत्र से विभाग की बजाए खेल संघ ही आयोजन करेंगे और उनको पूर्व में दी जाने वाली ५० हजार की राशि को बढ़ाकर दिया जाएगा। खेल विभाग के आयोजन से हाथ खिंचने का कारण विभाग तौर पर जहां स्टाप की कमी बताया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ जानकार इसके पीछे आयोजन में भारी गड़बडिय़ों को बता रहे हंै। इन गड़बडिय़ों की शिकायत खेलमंत्री तक पहुंचने के कारण ही खेल विभाग के हाथ से आयोजन छिने गए हैं।
खेल विभाग ने करीब चार पहले उस समय के खेलमंत्री बृजमोहन अग्रवाल के कार्यकाल में राज्य में सब जूनियर और जूनियर खेल स्पर्धाओं का आयोजन खेल संघों के साथ मिलकर करने का सिलसिला प्रारंभ किया था। उस समय खेल आयुक्त राजीव श्रीवास्तव थे जिनके निर्देशन में यह योजना बनी थी। इस योजना को सभी खेल संघों ने हाथों हाथ लिया था क्योंकि उनको जहां भारी कागजी कार्यवाही से मुक्ति मिल गई है, वहीं उनको आयोजन के लिए बाहर से चंदा भी लेना नहीं पड़ रहा है। आयोजन का सारा खर्च खेल विभाग कर रहा है इसी के साथ खिलाडिय़ों को भी नकद इनाम दिया जा रहा है। ऐसे में खिलाड़ी भी काफी खुश हैं।
खेल विभाग द्वारा सभी मान्यता प्राप्त खेलों के आयोजन किए जाते हैं। ऐसे में इन आयोजन के लिए विभाग को संचालनालय से अधिकारियों को भेजना पड़ता है। यहां यह बताना लीजिमी होगा वैसे ही खेल विभाग में स्टाप की कमी है ऐसे में आयोजनों के लिए लगातार अधिकारियों को भेजने के कारण विभाग का काम भी प्रभावित हो रहा है। इस बात को महसूस करने के बाद वर्तमान खेल संचालक जीपी सिंह ने यह सोचा कि फिर से इस आयोजन को खेल संघों को दिया जाए। एक तरफ जहां खेल संचालक की यह सोच रही है, वहीं खेल विभाग के आयोजन पर खेल संघों के पदाधिकारी यदा-कदा यह भी आरोप लगाते रहे हैं कि अब खेल विभाग आयोजन कर रहा है तो कैसे लाखों खर्च किए जा रहे हैं जबकि खेल संघों को महज ५० हजार की अनुदान राशि दी जाती थी। इस के साथ आयोजन के नाम पर खेल विभाग के अधिकारियों पर आयोजन के बजट में पैसों की गड़बड़ी की भी लगातार चर्चा रही है। इस बात की शिकायत खेलमंत्री तक भी की गई है।
जानकारों का ऐसा मानना है कि खेलमंत्री ने ही इस मामले की गंभीरता को देखते हुए खेल संचालक से आयोजनों को फिर से खेल संघों के हवाले करने की बात कही और यह योजना बनी कि अब आयोजन फिर से खेल संघों के हवाले किए जाएंगे। खेल संघों के हवाले फिर से आयोजन करने के लिए नए सिरे से योजना बनाई जा रही है ताकि न तो खेल संघों को परेशानी हो और न ही खिलाडिय़ों को मिलने वाली सुविधाओं में कटौती हो।
इनामी राशि मिलती रहेगी
खेल संघों के हवाले फिर से आयोजन होने पर खिलाडिय़ों को मिलने वाली इनामी राशि का क्या होगा यह अहम सवाल है। इसके बारे में खेल संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि खिलाडिय़ों को मिलने वाली नकद इनामी राशि मिलती रहेगी। यही नहीं खेल विभाग यह राशि देने के साथ खिलाडिय़ों के आने जाने का भी खर्च देते रहेगा। उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि खेल संघों को पूर्व में मिलने वाली अनुदान की ५० हजार की राशि में इजाफा किया जाएगा। यह राशि कितनी होगी अभी तय नहीं है लेकिन एक अनुमान के मुताबिक यह राशि एक लाख या फिर एक लाख पचास हजार भी हो सकती है।
मुख्यमंत्री की घोषणा का क्या होगा
खेल विभाग अगर आयोजन का जिम्मा फिर से खेल संघों को दे देता है तो एक सवाल यह है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की उस घोषणा का क्या होगा जिसमें उन्होंने सीनियर वर्ग की स्पर्धाओं का भी आयोजन खेल विभाग को करने के निर्देश दिए थे। खेल संघों ने लगातार खेल विभाग के साथ खेलमंत्री और फिर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के सामने यह मांग रखी थी कि संघों को सबसे ज्यादा परेशानी सीनियर वर्ग की राज्य स्पर्धा के आयोजन में आती है ऐसे में यह स्पर्धा भी खेल विभाग और खेल संघों के संयुक्त तत्वावधान में हो। इस मांग के बाद मुख्यमंत्री ने पिछले साल यह घोषणा की थी कि अब सीनियर स्पर्धा भी खेल विभाग करवाएगा। इस घोषणा के बाद अब तक खेल विभाग ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की है। इस घोषणा पर अमल न होने का कारण बजट को बताया गया है। लेकिन अब तो खेल विभाग ने सब जूनियर और जूनियर स्पर्धाओं के आयोजन से ही हाथ खींचने का मन बना लिया है ऐसे में सीनियर वर्ग की स्पर्धा करवाने का तो सवाल ही नहीं उठता है। इस स्पर्धा के लिए भी अनुदान की राशि में इजाफा किया जाने की संभावना है।

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