सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

छत्तीसगढ़ ओलंपिक में हमारा खेल क्यों नहीं

प्रदेश के खेल विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले छत्तीसगढ़ ओलंपिक के महाकुंभ के लिए तय किए खेलों को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। खेल विभाग ने प्राथमिक तौर पर १९ संभावितों खेलों के नाम तय किए हैं। जिन खेलों को संभावित में शामिल नहीं किया गया है, उन खेलों से जुड़े संघों के पदाधिकारी अब खेल विभाग में जाकर यह मांग करने लगे हैं कि उनके खेलों को शामिल क्यों नहीं किया गया है। इधर खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि जिन खेलों में हर जिले में चार टीमें शामिल हो पाएंगी उन्हीं खेलों को शामिल किया जाएगा। व्यक्तिगत खेलों के लिए ८ खिलाडिय़ों को होना अनिवार्य किया गया है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ओलंपिक संघ का अध्यक्ष बनने के बाद यह घोषणा की थी कि राज्य के १० साल पूरे होने पर इस बार राज्य में प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ ओलंपिक के नाम से राज्य स्तर के खेलों का आयोजन करेगी। इस आयोजन की तैयारी खेल विभाग ने प्रारंभ कर दी है। इस तैयारी की एक समीक्षा बैठक मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी ले चुके हैं। इसी बैठक में खेल विभाग ने प्रस्ताव रखा था कि १९ संभावित खेलों का चयन किया गया है। १९ खेलों के नाम सामने आने के बाद ही अब यह बात सामने आने लगी है कि आखिर हमारा खेल शामिल क्यों नहीं किया है। अब तक खेल विभाग में ताइक्वांडो, जूडो, सायकल पोलो स जुड़े खेल संघों के पदाधिकारी मांग कर चुके हैं कि उनके खेल को क्यों शामिल नहीं किया गया है। इन खेलों के अलावा बैडमिंटन, लॉन टेनिस, टेबल टेनिस, साफ्टबॉल,बेसबॉल, स्कैटिंग, थांगता, साफ्ट टेनिस, शरीर सौष्ठव, कैरम सहित एक दर्जन से ज्यादा ऐसे खेल हैं जिनको स्पर्धा में शामिल नहीं किया जा रहा है। इन खेलों से जुड़े पदाधिकारियों में नाराजगी है। इन खेलों से जुड़े पदाधिकारी अब धीरे-धीरे खेल विभाग जाकर अपने खेलों को भी शामिल करने की मांग करने लगे हैं।
क्या है खेलों के चयन का आधार
छत्तीसगढ़ ओलंपिक के लिए चुने गए संभावित खेलों के बारे में खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है इन खेलों का चयन इस आधार पर किया गया है कि इन १९ खेलों में से १३ खेल तो ऐसे हैं जिनकी टीमें ङाारखंड के राष्ट्रीय खेलों में खेलने जाएगी, इसके बाद के ६ खेल पायका में शामिल हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि हमने जो संभावित खेल चुने हैं उसमें तैराकी, तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बास्केटबॉल, मुक्केबाजी, कैनाइंग-कयाकिंग, फुटबॉल, जिम्नास्टिक, हैंडबॉल, हॉकी, कबड्डी, खो-खो, कराते, नेटबॉल, निशानेबाजी, वालीबॉल, ट्रायथलान, भारोत्तोलन, और कुश्ती शामिल हैं। उन्होंने बताया कि वैसे हमारे विभाग से हर जिले में जिलाधीशों और पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर यह जानकारी मांगी है कि उनके जिलों में कौन से खेल खेले जाते हैं। खेल संचालक ने बताया कि जिन खेलों में जिलों में कम से कम चार टीमें शामिल होंगी उन खेलों को शामिल किया जाएगा। व्यक्तिगत खेलों के लिए ८ खिलाडिय़ों का होना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि १९ साल से कम उम्र के खिलाडिय़ों के लिए टीमें बनाने का जिम्मा वैसे भी स्कूली शिक्षा विभाग को दिया गया है। शिक्षा विभाग में जिला स्तर के बाद जोन स्तर पर टीमों का चयन किया जाएगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि आयोजन जिला स्तर पर होंगे, इसके बाद जोन, संभाग और फिर राज्य स्तर पर आयोजन किए जाएंगे।
विकासखंड स्तर पर आयोजन क्यों नहीं?
खेलों के जानकार सवाल उठाने लगे हैं कि छत्तीसगढ़ ओलंपिक महाकुंभ के आयोजन के पीछे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का मकसद राष्ट्रीय खेलों के लिए ग्रामीण स्तर से प्रतिभाओं की खोज करना है। ऐसे में अगर आयोजन महज जिला स्तर पर होंगे तो ग्रामीण स्तर की प्रतिभाओं को मौका कैसा मिलेगा। खेलों के जानकार खेल संचालक के जिलों की चार टीमों के आधार को भी सही नहीं मान रहे हैं। जानकारों का साफ कहना है कि चार टीमें शहरों से ही खड़ी कर दी जाएगी, फिर ग्रामीण खिलाडिय़ों को कैसे मौका मिलेगा। ग्रामीण खिलाडिय़ों को मौका देने के लिए ग्रामीण स्तर पर आयोजन जरूरी है। अगर जिला स्तर, जोन स्तर और संभाग स्तर के बाद राज्य स्तर पर आयोजन किया गया तो यह खानापूर्ति के साथ करोड़ों रुपए की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं होगा।
लोकखेलों को मिले स्थान
राज्य में प्रसिद्ध लोक खेलों को भी स्थान देने की मांग होने लगी है। इस सिलसिले में लोक खेल मंच के पदाधिकारी खेल संचालक से मिल चुके हैं। उनको खेल संचालक ने एक प्रस्ताव बनाकर देने कहा है। लोक कला मंच के चन्द्रशेखर चकोर कहते हैं कि भले हमारे खेल को पदकों वाले खेल के रूप में शामिल न किया जाए, लेकिन प्रदर्शन खेल के रूप में तो शामिल किया जा सकता है। ऐसा करने से राज्य के खिलाडिय़ों को लोक खेलों की जानकारी हो सकेगी। वे बताते हैं कि लोक खेलों में गेडी फुटबॉल एक ऐसा खेल है जिसे लोकप्रिय करके राष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहचान बनाए जा सकती है।
जंप रोप भी रखा जाए
जंप रोप इस समय राज्य में तेजी से उभरता खेल है। इस खेल के तीन खिलाड़ी राजदीप सिंह हरगोत्रा, पूजा हरगोत्रा और श्वेता कुर्रे विश्व कप में खेल चुके हैं, ऐसे में इस खेलों को भी छत्तीसगढ़ ओलंपिक में शामिल करने की मांग हो रही है। इन खेल से जुड़े तीनों अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों के साथ कोच अखिलेश दुबे कहते हैं कि अगर हमारे खेल को मान्यता न होने की वजह से शामिल नहीं किया जाता है तो कम से इसको प्रदर्शन खेल के रूप में शामिल किया जाए। इन्होंने कहा कि हमारा दावा है कि जब जंप रोप का प्रदर्शन किया जाएगा तो हर खेल का खिलाड़ी इसको देखकर झूम उठेंगे।

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