शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

बजट कम, फिर भी पायका में दम

पायका के लिए केन्द्र सरकार से खेलों के आयोजन के लिए मिलने वाला बजट कम होने के बाद भी खेलों के आयोजन में बहुत दम नजर आ रहा है। एक तो इसके पीछे योजना काम कर रही है, दूसरे राज्य सरकार के भी पैसे खर्च हो रहे हैं। वैसे ये पैसे जिला स्तर पर खर्च किए जा रहे हैं लेकिन विकासखंड स्तर पर जिला खेल अधिकारी की योजना के कमाल के कारण रायपुर जिले के विकासखंडों में खेलों का सफल आयोजन हो रहा है। इन आयोजनों में खिलाडिय़ों का बड़ा जमावड़ा भी लग रहा है।
केन्द्र सरकार की पायका योजना में एक विकासखंड के लिए महज ५० हजार की राशि दी जाती है। इतनी राशि में पांच खेलों का आयोजन करना पड़ता है। लेकिन यह राशि पर्याप्त नहीं है। ऐसे में जहां खेल विभाग ने इन खेलों के साथ महिला खेलों को जोड़कर इन खेलों की १५ हजार राशि को भी इसके साथ जोड़ दिया है, वहीं पंचायतों की मदद भी ली जा रही है। वैसे ६५ हजार की राशि भी पर्याप्त नहीं है। क्योंकि एक-एक विकासखंड के आयोजन में ५०० से ज्यादा खिलाड़ी आते हैं।
छूरा में आए १३०० खिलाड़ी
रायपुर जिले के १५ विकासंखडों में से अब तक छह विकासखंडों में आयोजन हो चुका है। इन आयोजनों में सबसे ज्यादा १३०० खिलाड़ी छूरा विकासखंड में आए थे। इस विकासखंड में ६८ पंचायतें हैं जिनके खिलाड़ी खेलने आए थे। इतने ज्यादा खिलाड़ी होने की वजह से आयोजन एक दिन में करना संभव नहीं था ऐसे में आयोजन तीन दिनों तक करना पड़ा। अब आयोजन तीन दिनों तक किया गया तो खिलाडिय़ों के रहने और खाने की भी व्यवस्था करनी पड़ी। एक खिलाड़ी के लिए विकासखंड स्तर पर ५० रुपए का खाना देने का प्रावधान है। ऐसे में १३०० खिलाडिय़ों के खाने का एक दिन का खर्च ही ६५ हजार हो जाता है और यहां पर पूरे आयोजन के लिए ६५ हजार का बजट दिया गया था। वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे बताते हैं कि ऐसे समय में गांवों से मदद लेकर खिलाडिय़ों के खाने और रहने का इंतजाम किया जाता है।
हर ब्लाक में खिलाडि़य़ों का जमावड़ा
रायपुर जिले के जितने ब्लाकों में अब तक आयोजन हुए हैं, वहां पर बहुत ज्यादा खिलाडिय़ों का जमावड़ा लगा है। कसडोल के आयोजन में १०० पंचाययों के ७०० खिलाड़ी, देवभोग में ४७ पंचायतों के ४८७ खिलाड़ी, तिल्दा में ९१ पंचायतों के ४५० खिलाड़ी और पलारी में ७२ पंचायतों के १००० खिलाड़ी, बिलाईगढ़ की ९७ पंचायतों के १००० खिलाड़ी खेलने के लिए आए थे। हर ब्लाक में ६५ हजार का बजट कम ही लगा। हर ब्लाक में आयोजन एक दिन में होना भी संभव नहीं हुआ और कम से कम दो दिनों तक आयोजन करना पड़ा। हर ब्लाक में गांवों से मदद लेकर ही खाने की व्यवस्था की गई।
दूर से आने वालों को पंचायत की मदद
जिले के कई ब्लाकों में कई गांव ऐसे हैं जहां से आयोजन स्थल तक आने में खिलाडिय़ों को परेशानी होती है। ऐेसे में इन खिलाडिय़ों के आने और जाने की व्यवस्था पंचायतों के मद से की जाती है। इस बारे में खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे बताते हैं कि विकाखंड के क्रीड़ाश्री को यह कहा गया है कि जिन ब्लाकों में दूर के गांवों के खिलाड़ी खेलने आते हैं उनको पंचायत के मूलभूत मद से सरपंच को बोलकर मदद दिलवाई जाए। उन्होंने बताया कि जिले के हर विकासखंड में पंचायतों के सरपंच मदद कर रहे हैं। हर गांव के सरपंच चाहते हैं कि उनके खिलाड़ी भी खेलने जाएं।
इनामी राशि आकर्षण
खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे बताते हैं कि पायका के आयोजन में हर ब्लाक में खिलाडिय़ों का जमावड़ा लगने के पीछे जहां खेलों के प्रति गांवों में दीवानगी है, वहीं इनामी राशि का भी आकर्षण है। उन्होंने बताया कि विकासंखड स्तर पर पांच खेलों में अंकों के आधार पर ओवरआल चैंपियन बनने वाली पंचायत को २० हजार, दूसरे स्थान पर रहने वाली पंचायत को १२ हजार और तीसरे स्थान पर रहने वाली पंचायत को चार हजार का इकद इनाम दिया जाता है। इसी के साथ ९ हजार के और इनाम भी दिए जाते हैं। कुल ४५ हजार की इनामी राशि एक विकासखंड के लिए रखी गई है। इस इनामी राशि के लिए भी ज्यादा से ज्यादा गांवों के खिलाड़ी हर खेल में खेलने आते हैं।

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