सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

१५ खेलों पर अटका खेल विभाग

छत्तीसगढ़ ओलंपिक के खेलों के महाकुंभ के लिए खेल विभाग १५ खेलों की सूची पर ही आकर अटक गया है। राज्य के जिलों से आई खेलों की जानकारी के बाद इन्हीं खेलों को करवाना का प्रस्ताव खेल विभाग ने खेल मंत्रालय को भेजा है। विभाग के इस प्रस्ताव के बाद अब यह सोचना पड़ रहा है कि खेलमंत्री लता उसेंडी ने जो राष्ट्रीय खेलों में शामिल ३४ खेलों का आयोजन करवाने की मंशा जाहिर की थी, उनकी उस मंशा का क्या होगा।
प्रदेश के १९ जिलों से खेल विभाग के पास जो जानकारी आई है उसके मुताबिक खेल विभाग ने अब छत्तीसगढ़ ओलंपिक में १५ खेलों जिसमें तैराकी, तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बास्केटबॉल, मुक्केबाजी, फुटबॉल, हैंडबॉल, हॉकी, कबड्डी, खो-खो, कराते, नेटबॉल, वालीबॉल, भारोत्तोलन और कुश्ती शामिल हैं। इन खेलों के आयोजन का प्रस्ताव बनाकर प्रदेश के खेल मंत्रालय को भेजा है। इन खेलों के आयोजन के लिए तीन करोड़ का बजट भी मांगा गया है। खेल विभाग ने जिन खेलों की सूची बनाई है वह जिलों से आई खेलों की सूची के आधार पर बनी है। खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि हमारे विभाग ने यह तय किया था कि जिन खेलों में कम से कम ८ जिलों की टीमें खेलेगी वहीं खेल शामिल किए जाएंगे। ऐसे खेलों की संख्या १५ ही हो रही है। ऐसे में हमने इतने ही खेलों का प्रस्तान बनाकर भेजा है। इसी के साथ उनका कहना है कि जिलों को यह कहा गया था कि जिन खेलों में जिलों की कम से कम चार टीमें शामिल हो सकेगी ऐसे खेलों को ही चिंहित करना है। हमारे विभाग ने प्रारंभ में जिलों को १९ खेलों की सूची दी थी जिसके आधार पर खेलों का चयन करना था। वैसे बाद में दूसरे खेलों को भी शामिल करने के लिए जिलों को अलग से कहा गया था। हमने जो १९ खेलों की सूची दी थी, उन खेलों में निशानेबाजी, जिम्नास्टिक, कैनाइंग कयाकिंग और ट्रायथलान में दो से तीन जिलों से ही जानकारी आई जिसकी वजह से इन खेलों को शामिल करना संभव नहीं है।
क्या दूसरे खेल नहीं होते जिलों में
राज्य के जिलों में खेल विभाग के जो जिला अधिकारी बैठे हैं उनकी सोच इस बात से सामने आई है कि उन्होंने कई ऐसे खेलों को शामिल ही नहीं किया है जो कई जिलों में खेले जाते हैं। ऐसे खेलों में टेबल टेनिस, बैडमिंटन, जूडो, लॉन टेनिस, साफ्टबॉल जैसे खेले हैं जिनको शामिल नहीं किया गया है। कम से कम ये ऐसे खेल हैं जो प्रदेश के कम से कम ८ से ज्यादा जिलों में खेले जाते हैं। इसी के साथ और कुछ खेल हैं जो ८ जिलो में खेले जाते हैं। इन खेलों की जब भी राज्य के खेल संघ राज्य स्पर्धाओं का आयोजन करते हैं तो इनमें ८ से ज्यादा जिलों की टीमें आती हैं। यही नहीं प्रदेश के खेल विभाग ने भी इन खेलों में से ज्यादातर खेलों की राज्य सब जूनियर और जूनियर स्पर्धाओं का आयोजन करवाया है। खेल विभाग के आयोजनों में भी ८ से ज्यादा टीमें आई हैं।
खेल के जानकार इस बात से हैरान हैं कि आखिर कैसे इन खेलों के बारे में जिलों के खेल अधिकारियों ने जानकारी नहीं भेजी है। जिलों की जानकारी में एक हैरानी की बात यह सामने आई है कि बैडमिंटन के लिए एक धमतरी को छोड़कर बाकी किसी जिले ने जानकारी ही नहीं भेजी है कि उनके यहां यह खेल होता है। छत्तीसगढ़ प्रदेश संघ के सहसचिव अनुराग दीक्षित का कहना है कि राज्य के १४ जिलों में हमारा जिला संघ है और इतने जिलों में खिलाड़ी हैं। उनको हैरानी है कि कैसे किसी जिले ने जानकारी नहीं भेजी है।
टेबल टेनिस संघ के सचिव अमिताभ शुक्ला का कहना है कि यह दुर्भाग्यजनक है कि हमारे खेले को छत्तीसगढ़ ओलंपिक से अलग रखा गया है। उन्होंने बताया कि राज्य के १४ जिलों में उनके जिला संघ हंै इन सभी जिलों के खिलाड़ी राज्य स्पर्धा में खेलने आते हैं। इसी तरह की प्रतिक्रिया हर उस खेल संघ से जुड़े संघों के लोगों की हैं जिनके खेलों को छत्तीसगढ़ ओलंपिक से अलग रखा गया है।
खेलमंत्री की मंशा का क्या होगा?
खेलमंत्री लता उसेंडी ने जिस तरह से राष्ट्रीय खेलों में शामिल सभी ३४ खेलों को छत्तीसगढ़ ओलंपिक में शामिल करने की बात कही थी, उसके बाद से यह सोचना पड़ रहा है कि आखिर खेलमंत्री का मंशा का क्या होगा। इस बारे में खेल विभाग का कोई भी अधिकारी कुछ भी नहीं बोलना चाहता है। खेल विभाग के आला अधिकारी कहते हैं कि हम क्या बोल सकते हैं। खेलमंत्री की किसी बात पर हम क्या प्रतिक्रिया दे सकते हैं। हमने तो मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद तय की गई योजना पर ही काम किया है। अगर फिर से शासन से कोई फरमान जारी होगा तो उसका पालन किया जाएगा।
खेल संघों की खुली पोल
एक तरफ जहां खेल संघों से जुड़े लोग इस बात को लेकर नाराज हैं कि उनके खेलों को क्यों शामिल नहीं किया गया है, वहीं इधर खेल विभाग से जुड़े अधिकारी कहते हैं कि इसमें कोई दो मत नहीं है जिलों से आई रिपोर्ट के बाद यह बात तय है कि खेल संघों ने विभाग से मान्यता लेने के लिए जितने जिलों में जिला संघ होने की जानकारी देकर मान्यता ली है, उन जिलों में संघ तो भले बन गए हैं, लेकिन खिलाड़ी नहीं हैं। अगर जिलों के खेल संघों के पास खिलाड़ी होते तो वे जरूर जिले के जिलाधीश और पुलिस अधीक्षक या फिर जिला खेल अधिकारी के पास जाकर अपना दावा करते। जिन खेलों के पदाधिकारियों ने दावा नहीं किया है, उसका मतलब साफ है कि उन खेलों में जिलों में खिलाड़ी नहीं हैं।


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