रविवार, 25 अक्तूबर 2009

शहरी खिलाडिय़ों का वर्चस्व तोड़ा आदिवासी खिलाडिय़ों ने

प्रदेश में अब क्रिकेट में शहरी खिलाडिय़ों के वर्चस्व को तोडऩे का काम सरगुजा के आदिवासी खिलाड़ी कर रहे हैं। दूसरी बार सरगुजा की टीम अंडर १६ साल क्रिकेट के फाइनल में पहुंची है। अब यहां पर उसका मुकाबला रविवार से भिलाई से होगा। भिलाई को छोड़ दिया जाए तो अब रायपुर और बिलासपुर के खिलाडिय़ों में दम नहीं रह गया है।

छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ द्वारा आयोजित अंडर १६ साल अंतर जिला क्रिकेट में एक बार फिर से यह बात सामने आई है कि अब रायपुर और बिलासपुर के शहरी खिलाडिय़ों का दबदबा नहीं रह गया है। सरगुजा के आदिवासी खिलाड़ी फिर से हीरो बनाकर सामने आए हैं। सरगुजा की टीम ने बिलासपुर को सेमीफाइनल में मात देने का काम किया। इधर रायपुर की टीम भिलाई से मात खा गई। रायपुर के खिलाडिय़ों का प्रदर्शन कितना लचर था, यह इसी बात से मालूम होता है कि टीम के छह खिलाड़ी रन आउट हुए। यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी राजेश चौहान एक कार्यक्रम में पहले ही इस बात की चेतावनी दे चुके हैं कि शहरी खिलाडिय़ों को मेहनत करने की जरूरत है आज सरगुजा जैसे आदिवासी क्षेत्र के खिलाड़ी बहुत ज्यादा मेहनत कर रहे हैं। उनके सामने टिकने के लिए मेहनत ही एक मात्र रास्ता है।

1 टिप्पणी:

अनुनाद सिंह ने कहा…

ये तो बहुत खुशी की बात है। जब तक आदिवासी, वनवासी, ग्रामवासी भारत के खेलों में आगे नहीं आयेंगे तब तक भारत भी वैश्विक स्तर पर खेलों में आगे नहीं आ सकता।

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