सोमवार, 19 अक्तूबर 2009

रायपुर का साई सेंटर खटाई में

राजधानी रायपुर का साई सेंटर अब खटाई में पड़ गया है। इस सेंटर के अब कम से कम इस नगर निगम के सत्र में प्रारंभ होने की संभावना नहीं है। इस सेंटर के लिए केवल एमओयू होना ही बचा था और संभावना जताई जा रही थी कि अमित कटारिया के आते ही एमओयू हो जाएगा, लेकिन अब तो श्री कटारिया निगम के आयुक्त ही नहीं रहे ऐसे में अब एमओयू का होना संभव नहीं लगता है। इस सेंटर के खटाई में पडऩे से राजधानी के खिलाड़ी बहुत ज्यादा निराश हैं। इस सेंटर के लिए सबसे ज्यादा प्रयास खेल संचालक जीपी सिंह ने किए थे।

प्रदेश का खेल विभाग काफी समय से प्रदेश में भारतीय खेल प्राधिकरण की मदद से खेलों का विकास करने में लगा है। इसी कड़ी में रायपुर के स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स में साई सेंटर प्रारंभ करने की योजना को अंतिम रूप भी दे दिया गया था। इसके लिए भारतीय खेल प्राधिकरण और नगर निगम के बीच एमओयू करने की पूरी तैयारी यहां पर १७ सितंबर को कर ली गई थी, इस दिन साई के क्षेत्रीय निदेशक आरके नायडु रायपुर आए थे। उनके आने का फायदा उठाते हुए खेल विभाग ने एमओयू को अंतिम रूप देने के लिए पूरी तैयारी की और निगम के आयुक्त अमित कटारिया के बाहर होने की वजह से एमओयू में हस्ताक्षर करने के लिए अतिरिक्त आयुक्त अमृता चोपड़ा को सहमत कर लिया गया था। लेकिन जिस दिन एमओयू होना था उसी दिन अचानक अतिरिक्त आयुक्त ने एमओयू करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि इस मामले में उनको पूरी जानकारी नहीं है, साथ ही उन्होंने कहा कि शासन से इसके लिए अनुमति नहीं ली गई है। ऐसे में एमओयू को स्थगित कर दिया गया था। इस बारे में तब आरके नायडु ने स्पष्टीकरण दिया था कि निगम को कुछ बातों को लेकर संदेह है उनका संदेह दूर कर दिया जाएगा और एमओयू जल्द हो जाएगा।

इस बारे में खेल संचालक जीपी सिंह ने उम्मीद जताई थी कि निगम के आयुक्त अमित कटारिया के आने के बाद एमओयू हो जाएगा क्योंकि उनको सारी बातें मालूम हैं। श्री कटारिया के आने के बाद इस बात की उम्मीद बंधी थी कि अब राजधानी का साई सेंटर प्रारंभ हो जाएगा। अब इससे पहले कि फिर से निगम और साई के बीच एमओयू को लेकर बैठक होती, अचानक एक राजनीतिक घटनाक्रम में श्री कटारिया को निगम के आयुक्त पद से हटा दिया गया। उनके हटते ही अब यह बात तय हो गई है कि अब एमओयू होना संभव नहीं है।

जानकारों का कहना है कि जब तक निगम के नए आयुक्त आएंगे और उनको पूरी योजना के बारे में नए सिरे से समङााया जाएगा, तब तक निगम के चुनाव सामने आ जाएंगे और आचार सहिता लग जाएगी। इसके बाद एमओयू का होना संभव नहीं होगा। चुनाव के बाद निगम के प्रशासन पर किसका कब्जा होता है, उस पर भी साई सेंटर का भविष्य निर्भर रहेगा। अगर फिर से भाजपा काबिज हुई तो एक बार साई सेंटर के प्रारंभ होने की उम्मीद की जा सकती है, अन्यथा सेंटर खुलना संभव नहीं होगा। अब जो कुछ होना है अगले साल होना है। ऐसे में राजधानी के उन खेल संघों के पदाधिकारी और खिलाड़ी निराश हैं जिनके खेलों का यहां पर सेंटर खुलने वाला था।

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