सप्रे स्कूल के मैदान में राजधानी की महिला फुटबॉलर रायपुर जिले की टीम में स्थान पाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही हैं। करीब तीन दर्जन खिलाडिय़ों के बीच मुकाबला है। इन खिलाडिय़ों में से १६ खिलाडिय़ों को अंतिम टीम में स्थान मिलना है। चुनी गई टीम २२ अक्टूबर से दुर्ग में होने वाली राज्य स्पर्धा में खेलने जाएगी। टीम की खिलाडिय़ों को ट्रायल के साथ कड़ा अभ्यास कराने का काम वरिष्ठ फुटबॉलर मुश्ताक अली प्रधान के साथ एनआईएस कोच सरिता कुजूर कर रही हैं।
दीवावली के अवकाश के बाद सप्रे स्कूल के मैदान में सोमवार से राजधानी की महिला फुटबॉलर फिर से जमा हुई हैं और इन खिलाडिय़ों को सबसे पहले फिटनेस का अभ्यास कराने के बाद दो टीमों में बांटकर मैच करवाया गया। मैच पूरी तरह से ऐसा था मानो सच में मुकाबला हो रहा है। खिलाडिय़ों को कोच मुश्ताक अली प्रधान से साफ कह दिया था कि इस मैच को ट्रायल मैच न समङाते हुए एक मुकाबला समङाा जाए और बिना लापरवाही के मैच खेला जाएगा। जिनका खेल अच्छा होगा उनको ही टीम में स्थान मिलेगा। यहां पर किसी भी तरह की कोई बहानेबाजी चलने वाली नहीं है। उन्होंने बताया कि इस समय करीब तीन दर्जन खिलाडिय़ों ने अपना नाम चयन ट्रायल के लिए लिखवाया है। ट्रायल का पहला चरण १४ और १५ अक्टूबर को कर लिया गया था। अब अंतिम चरण का ट्रायल किया जा रहा है। इस ट्रायल के बाद २१ अक्टूबर को जिले की टीम का चयन करके दुर्ग खेलने के लिए भेजा जाएगा। ट्रायल में कल का दिन अंतिम होगा।
उन्होंने पूछने पर बताया कि चयन ट्रायल में खिलाडिय़ों को लड़कों की टीम के साथ भी खिलाया जाता है ताकि उनका खेल अच्छा हो सके। उन्होंने बताया कि यह ट्रायल अंडर १९ साल की टीम का है।
रायपुर में विजेता बनने का दम है
एक सवाल के जवाब में मुश्ताक अली ने बताया कि रायपुर की टीम में ही विजेता बनने का दम है। पिछले साल जब जगदलपुर में स्पर्धा हुई थी तब रायपुर की टीम विजेता बनी थी। इस बार भी रायपुर को खिताब मिले इसके लिए ट्रायल में ही कड़ा अभ्यास करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अंडर १४ और अंडर १७ में भी रायपुर की टीम विजेता है। अगर अंडर १९ साल का भी खिताब मिल जाता है तो रायपुर के पास सभी वर्गों का खिताब हो जाएगा। उन्होंने पूछने पर बताया कि दुर्ग में २२ से २४ अक्टूबर तक होनी वाली चैंपियनशिप में रायपुर के साथ दुर्ग, कांकेर, बस्तर, राजनंदगांव, कोरबा और जशपुर की टीमें खेलने आएंगी। महिला फुटबॉल में कम जिलों की टीमें ही आती हैं।
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