खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने राजधानी में खेलों का जो प्रशिक्षण शिविर लगाया है, उन खेलों में मुक्केबाजी भी शामिल है। इस खेल में ज्यादा खिलाडिय़ों की रूचि नहीं रहती है, लेकिन दुनिया के इस सबसे ज्यादा कमाई वाले खेल के प्रति राजधानी के खिलाडिय़ों में रूचि नजर आ रही है। शिविर में करीब २० खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं। इन खिलाडिय़ों में चार खिलाड़ी नीलकंठ, राजकुमार, दिलीप और करणदीप ऐसे खिलाड़ी हैं जो स्कूल नेशनल में खेल चुके हैं। कोच नवीन दास बताते हैं कि इन खिलाडिय़ों के नेशनल में खेलने की वजह से ही उनको यह उम्मीद जगी है कि रायपुर को भिलाई की तरह ही मुक्केबाजी का गढ़ बनाया जा सकता है। वे बताते हैं कि इस समय वे शिविर में खिलाडिय़ों को स्टेपिंग, फुटवर्क और पेड पेचिंग के बारे में बता रहे हैं। पूछने पर वे कहते हैं कि रिंग तो बहुत जरूरी है, लेकिन इसके लिए स्थान के साथ काफी महंगा सामान आएगा। उन्होंने कहा कि अगर रिंग की व्यवस्था खेल विभाग कर देता है तो रायपुर को मुक्केबाजी का गढ़ बनने से कोई नहीं रोक सकता है। पांच बार राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने वाले श्री दास ने दो बार अखिल भारतीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पद भी जीते है। रायपुर में वे ९८ से खिलाडिय़ों को तराशने का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि रायपुर में प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों की कमी नहीं है, बस जरूरत है इनके लिए सुविधाएं देने की। अगर सुविधाएं दी जाए तो यहां से और ज्यादा खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर अपने जौहर दिखा सकते हैं।
गुरुवार, 21 मई 2009
रायपुर को बनाना है मुक्केबाजी का गढ़
नेताजी स्टेडियम में छोटे-बड़े खिलाड़ी मुक्केबाजी का अभ्यास करने में जुटे हैं। एक तरफ जहां खिलाड़ी लगन से खेल की बारीकियों को सीखने में लगे हैं, वहीं प्रशिक्षण देने वाले कोच नवीन दास गंभीरता से खिलाडिय़ों को तराशने में जुटे हैं। पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी नवीन दास का सपना है कि रायपुर को भी भिलाई की तरह मुक्केबाजी का गढ़ बना दिया जाए ताकि यहां से भी ओलंपिक के लिए खिलाड़ी निकल सके।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने राजधानी में खेलों का जो प्रशिक्षण शिविर लगाया है, उन खेलों में मुक्केबाजी भी शामिल है। इस खेल में ज्यादा खिलाडिय़ों की रूचि नहीं रहती है, लेकिन दुनिया के इस सबसे ज्यादा कमाई वाले खेल के प्रति राजधानी के खिलाडिय़ों में रूचि नजर आ रही है। शिविर में करीब २० खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं। इन खिलाडिय़ों में चार खिलाड़ी नीलकंठ, राजकुमार, दिलीप और करणदीप ऐसे खिलाड़ी हैं जो स्कूल नेशनल में खेल चुके हैं। कोच नवीन दास बताते हैं कि इन खिलाडिय़ों के नेशनल में खेलने की वजह से ही उनको यह उम्मीद जगी है कि रायपुर को भिलाई की तरह ही मुक्केबाजी का गढ़ बनाया जा सकता है। वे बताते हैं कि इस समय वे शिविर में खिलाडिय़ों को स्टेपिंग, फुटवर्क और पेड पेचिंग के बारे में बता रहे हैं। पूछने पर वे कहते हैं कि रिंग तो बहुत जरूरी है, लेकिन इसके लिए स्थान के साथ काफी महंगा सामान आएगा। उन्होंने कहा कि अगर रिंग की व्यवस्था खेल विभाग कर देता है तो रायपुर को मुक्केबाजी का गढ़ बनने से कोई नहीं रोक सकता है। पांच बार राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने वाले श्री दास ने दो बार अखिल भारतीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पद भी जीते है। रायपुर में वे ९८ से खिलाडिय़ों को तराशने का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि रायपुर में प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों की कमी नहीं है, बस जरूरत है इनके लिए सुविधाएं देने की। अगर सुविधाएं दी जाए तो यहां से और ज्यादा खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर अपने जौहर दिखा सकते हैं।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने राजधानी में खेलों का जो प्रशिक्षण शिविर लगाया है, उन खेलों में मुक्केबाजी भी शामिल है। इस खेल में ज्यादा खिलाडिय़ों की रूचि नहीं रहती है, लेकिन दुनिया के इस सबसे ज्यादा कमाई वाले खेल के प्रति राजधानी के खिलाडिय़ों में रूचि नजर आ रही है। शिविर में करीब २० खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं। इन खिलाडिय़ों में चार खिलाड़ी नीलकंठ, राजकुमार, दिलीप और करणदीप ऐसे खिलाड़ी हैं जो स्कूल नेशनल में खेल चुके हैं। कोच नवीन दास बताते हैं कि इन खिलाडिय़ों के नेशनल में खेलने की वजह से ही उनको यह उम्मीद जगी है कि रायपुर को भिलाई की तरह ही मुक्केबाजी का गढ़ बनाया जा सकता है। वे बताते हैं कि इस समय वे शिविर में खिलाडिय़ों को स्टेपिंग, फुटवर्क और पेड पेचिंग के बारे में बता रहे हैं। पूछने पर वे कहते हैं कि रिंग तो बहुत जरूरी है, लेकिन इसके लिए स्थान के साथ काफी महंगा सामान आएगा। उन्होंने कहा कि अगर रिंग की व्यवस्था खेल विभाग कर देता है तो रायपुर को मुक्केबाजी का गढ़ बनने से कोई नहीं रोक सकता है। पांच बार राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने वाले श्री दास ने दो बार अखिल भारतीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पद भी जीते है। रायपुर में वे ९८ से खिलाडिय़ों को तराशने का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि रायपुर में प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों की कमी नहीं है, बस जरूरत है इनके लिए सुविधाएं देने की। अगर सुविधाएं दी जाए तो यहां से और ज्यादा खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर अपने जौहर दिखा सकते हैं।
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