बास्केटबॉल की दीवानगी छोटे-छोटे बच्चों के भी सिर चढ़कर बोल रही है। पुलिस मैदान में चल रहे प्रशिक्षण शिविर में पहली क्लास से लेकर १०वीं क्लास तक की छात्राएं प्रशिक्षण ले रही हैं। ये छात्राएं महज समर कैम्प के लिए नहीं आईं हैं बल्कि बास्केटबॉल नियमित खेलना चाहती हैं।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा राजधानी में चलाए जा रहे २१ खेलों के प्रशिक्षण शिविरों में से बास्केटबॉल का प्रशिक्षण शिविर पुलिस मैदान में चलाया जा रहा है। इस शिविर में ८० से ज्यादा लड़कियों प्रशिक्षण लेने आ रही हैं। प्रशिक्षण लेने वाली खिलाड़ी हर उम्र की हैं। इन खिलाडिय़ों में पहली क्लास की भी छात्राएं हैं। अलपिया परवीन जहां पहली क्लास में पढ़ती हैं, वहीं जागृति जैन और पायल दीप दूसरी की छात्राएं हैं। इसी तरह से कागज बाग तीसरी, अंकिता बाग चौथी, सपना जाल पांचवीं और कृष्णा जैन छठी की छात्रा हैं। एक नन्हीं खिलाड़ी तुलसी न्याय भी जो बताती है कि उनके परिजनों से उनकी पढ़ाई दूसरी के बाद आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण बंद करवा दी है। ऐसे में उसने खेल की तरफ ध्यान दिया और बास्केटबॉल खेलने आ गई। इनव छोटी-छोटी खिलाडिय़ों के साथ कई बड़ी खिलाड़ी भी प्रशिक्षण ले रही हैं। ज्यादातर खिलाडिय़ों ने एक स्वर में कहा कि उनको समर कैम्प के बाद भी नियमित खेलना है।
खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने वाली सीनियर खिलाड़ी विभूति ठाकुर के साथ फरहत अंजुम बताती हैं यह बास्केटबॉल के लिए काफी अच्छी बात है कि कम उम्र की खिलाड़ी खेलने आ रही हैं, लेकिन इनको प्रशिक्षण देना आसान नहीं है। बास्केटबॉल लंबे खिलाडिय़ों का खेल माना जाता है, ऐसे में कम उम्र की खिलाडिय़ों के लिए बास्केट करना कठिन है, इसके बाद भी इनको प्रशिक्षण देने का काम किया जा रहा है। इन्होंने पूछने पर बताया कि खिलाडिय़ों को बास्केटबॉल के बैस के बारे में बताया जा रहा है। खिलाडिय़ों को ड्रिब्लिंग, पासिंग और शूटिंग सिखाई जा रही है। खिलाडिय़ों की टीमें बनाकर उनके बीच मैच भी करवाए जा रहे हैं। खिलाडिय़ों के फिटनेस के लिए जहां मैदान के बाहर एक चक्कर लगाने कहा जाता है, वहीं मैदान के पांच चक्कर लगाने पड़ते हैं। इन्होंने बताया कि शिविर के लिए सारा सामाना खेल विभाग ने दिया है। पुलिस मैदान का प्रशिक्षण शिविर शाम को ५ बजे से प्रारंभ होता है।
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