छत्तीसगढ़ का खेल विभाग प्रदेश में खेलों को नया जीवन देने के लिए राष्टीय खेलों २०१३-१४ की मेजबानी लेने के लिए गंभीरता से जुटा हुआ है। खेल संचालक जीपी सिंह लगातार उन राज्यों से संपर्क कर रहे हैं जहां पर आगामी राष्ट्रीय खेल होने हैं। सोमवार को ही उन्होंने गोवा के खेल संचालक से बात करके पूरी जानकारी ली है। खेल विभाग का एक प्रतिनिधि झारखण्ड का दौरा करके भी आ गया है। बहुत जल्द मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के सामने पूरी योजना पेश की जाएगी और फिर भारतीय ओलंपिक संघ के पास मेजबानी लेने का दावा पेश किया जाएगा।
प्रदेश का खेल विभाग इस समय नई खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी के मार्गदर्शन में प्रदेश में खेलों के विकास के लिए नए-नए काम करने में लगा है। प्रदेश में इस समय सबसे ज्यादा टोटा खेल मैदानों का है। इस टोटे को पूरा करने के लिए ही खेल विभाग ने राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने का मन बनाया है। राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिलने पर खेल मैदान बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने ७५ प्रतिशत से भी ज्यादा मदद मिल जाती है। मेजबानी का दावा करने से पहले खेल विभाग ने जहां अपने संसाधनों को टटोलने का काम किया है, वहीं जिन राज्यों में इस समय राष्ट्रीय खेल होने हैं उन राज्यों से भी जानकारी मंगाई जा रही है। अगले राष्ट्रीय खेल झारखण्ड में होने वाले हैं। ऐसे में वहां पर कितने मैदान बनाए गए हैं और केन्द्र सरकार से कितनी मदद मिली है इसकी जानकारी लेने के लिए विभाग ने सहायक संचालक ओ. पी. शर्मा को वहां भेजा था। सोमवार को खेल संचलक जीपी सिंह ने गोवा के खेल संचालक से बात की। वहां पर २०१०-११ में राष्ट्रीय खेल होंगे। गोवा के खेल संचालक ने श्री सिंह को बताया कि केन्द्र सरकार से ८० से ९० प्रतिशत तक मदद मिल जाती है। उनकी बातों से मेजबानी लेने में और उत्साह आया है। इधर एक जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय खेलों का आयोजन करने वाले झारखण्ड को जहां केन्द्र सरकार से १७० करोड़ की मदद मिल चुकी है, वहीं असम में हुए आयोजन में केन्द्र सरकार ने ३०० करोड़ और हैदराबाद में २०० करोड़ की मदद की थी। केन्द्र सरकार से करीब ४०० करोड़ की मदद मिलने की बात प्रदेश ओलंपिक संघ के महासचिव बशीर अहमद खान कहते हैं।
मेजबानी के आवेदन के साथ देने होंगे ५० लाख- मेजबानी का फैसला करने के बाद मेजबानी के आवेदन के साथ भारतीय ओलंपिक संघ के पास प्रदेश सरकार को ५० लाख जमा करने होंगे। आवेदन के बाद ओलंपिक संघ का एक प्रतिनिधि मंडल यहां आएगा और सुविधाओं को देखने के बाद ही मेजबानी तय होगी। जब मेजबानी देने का फैसला किया जाएगा तब प्रदेश सरकार का एक करोड़ ५० लाख की राशि और जमा करनी होगी।
मुख्यमंत्री रमन सिंह से उम्मीद - प्रदेश की खेल बिरादरी को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से उम्मीद है कि वे जरूर राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने का फैसला करेंगे। उनके समाने जल्द ही खेल विभाग पूरी योजना के साथ पेश होने वाला है। मुख्यमंत्री चूकि खेलों में बहुत रूचि लेते हैं और भाजपा शासन काल में कई बड़े आयोजन हो चुके हैं ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि वे इसके लिए सहमति दे देंगे। खेल विभाग के अधिकारी उनसे इस माह के अंत में मुलाकात करेंगे।
जोगी सरकार नहीं ले पाई थी मेजबानी - छत्तीसगढ़ के अलग बनने के बाद प्रदेश में अजीत जोगी की सरकार बनी थी। उस समय जोगी सरकार ने भी एक प्रयास किया था कि राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिल जाए। पहले खेल मंत्री शंकर सोढ़ी ने इसके लिए ओलंपिक संघ के पास आवेदन भी भेजा था, लेकिन आवेदन के साथ भेजी जानी वाली राशि सरकार ने नहीं भेजी थी जिसके कारण मेजबानी नहीं मिल पाई थी। तब २००९-१० की मेजबानी मांग गई थी।
प्रदेश का खेल विभाग इस समय नई खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी के मार्गदर्शन में प्रदेश में खेलों के विकास के लिए नए-नए काम करने में लगा है। प्रदेश में इस समय सबसे ज्यादा टोटा खेल मैदानों का है। इस टोटे को पूरा करने के लिए ही खेल विभाग ने राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने का मन बनाया है। राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिलने पर खेल मैदान बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने ७५ प्रतिशत से भी ज्यादा मदद मिल जाती है। मेजबानी का दावा करने से पहले खेल विभाग ने जहां अपने संसाधनों को टटोलने का काम किया है, वहीं जिन राज्यों में इस समय राष्ट्रीय खेल होने हैं उन राज्यों से भी जानकारी मंगाई जा रही है। अगले राष्ट्रीय खेल झारखण्ड में होने वाले हैं। ऐसे में वहां पर कितने मैदान बनाए गए हैं और केन्द्र सरकार से कितनी मदद मिली है इसकी जानकारी लेने के लिए विभाग ने सहायक संचालक ओ. पी. शर्मा को वहां भेजा था। सोमवार को खेल संचलक जीपी सिंह ने गोवा के खेल संचालक से बात की। वहां पर २०१०-११ में राष्ट्रीय खेल होंगे। गोवा के खेल संचालक ने श्री सिंह को बताया कि केन्द्र सरकार से ८० से ९० प्रतिशत तक मदद मिल जाती है। उनकी बातों से मेजबानी लेने में और उत्साह आया है। इधर एक जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय खेलों का आयोजन करने वाले झारखण्ड को जहां केन्द्र सरकार से १७० करोड़ की मदद मिल चुकी है, वहीं असम में हुए आयोजन में केन्द्र सरकार ने ३०० करोड़ और हैदराबाद में २०० करोड़ की मदद की थी। केन्द्र सरकार से करीब ४०० करोड़ की मदद मिलने की बात प्रदेश ओलंपिक संघ के महासचिव बशीर अहमद खान कहते हैं।
मेजबानी के आवेदन के साथ देने होंगे ५० लाख- मेजबानी का फैसला करने के बाद मेजबानी के आवेदन के साथ भारतीय ओलंपिक संघ के पास प्रदेश सरकार को ५० लाख जमा करने होंगे। आवेदन के बाद ओलंपिक संघ का एक प्रतिनिधि मंडल यहां आएगा और सुविधाओं को देखने के बाद ही मेजबानी तय होगी। जब मेजबानी देने का फैसला किया जाएगा तब प्रदेश सरकार का एक करोड़ ५० लाख की राशि और जमा करनी होगी।
मुख्यमंत्री रमन सिंह से उम्मीद - प्रदेश की खेल बिरादरी को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से उम्मीद है कि वे जरूर राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने का फैसला करेंगे। उनके समाने जल्द ही खेल विभाग पूरी योजना के साथ पेश होने वाला है। मुख्यमंत्री चूकि खेलों में बहुत रूचि लेते हैं और भाजपा शासन काल में कई बड़े आयोजन हो चुके हैं ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि वे इसके लिए सहमति दे देंगे। खेल विभाग के अधिकारी उनसे इस माह के अंत में मुलाकात करेंगे।
जोगी सरकार नहीं ले पाई थी मेजबानी - छत्तीसगढ़ के अलग बनने के बाद प्रदेश में अजीत जोगी की सरकार बनी थी। उस समय जोगी सरकार ने भी एक प्रयास किया था कि राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिल जाए। पहले खेल मंत्री शंकर सोढ़ी ने इसके लिए ओलंपिक संघ के पास आवेदन भी भेजा था, लेकिन आवेदन के साथ भेजी जानी वाली राशि सरकार ने नहीं भेजी थी जिसके कारण मेजबानी नहीं मिल पाई थी। तब २००९-१० की मेजबानी मांग गई थी।
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