गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

खिलाड़ी पस्त-अधिकारी मस्त


प्रदेश के स्कूली खेलों में बाहरी दखल की यहां पर शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से खिलाडिय़ों ने शिकायत की है। बिलासपुर में हुई राज्य स्पर्धा में दुर्ग के एक सिपाही की दखलबाजी से नेटबॉल की टीम बहुत ज्यादा प्रभावित हुई। खिलाडिय़ों का साफतौर पर कहना है कि इस सिपाही की मर्जी के बिना अधिकारी कुछ नहीं करते हैं। पीटीआई भी इस एक आदमी के दखल से बहुत खफा हैं। इस सिपाही को दिल्ली के राष्ट्रीय स्कूली खेलों में भी टीम के साथ ले जाने की बात सामने आई है। यही नहीं मंच पर छत्तीसगढ़ की टीम के पुरस्कार लेने के समय भी यह सिपाही साथ में था। इतना सब होने के बाद भी सहायक संचालक एसआर कर्ष इस बात से इंकार करते हैं कि किसी बाहरी आदमी का दखल है। उनका कहना है कि जिनके बारे में दखल करने की बात की जा रही है, वह खेल देखने आते हैं और एक दर्शक मात्र हैं। खिलाडिय़ों के साथ पीटीआई सवाल करते हैं कि वह दर्शक हैं तो प्रदेश की टीम के साथ पुरस्कार लेने मंच पर कैसे चले गए?


प्रदेश में स्कूली शिक्षा विभाग में खेलों की हालत काफी खराब है। विभाग के अधिकारियों की मनमर्जी से न सिर्फ खिलाड़ी बल्कि खेल शिक्षक (पीटीआई) भी बहुत ज्यादा परेशान हैं। बिलासपुर में खेली गई राज्य स्पर्धा में खिलाड़ी और पीटीआई दुर्ग के एक सिपाही के दखल से बहुत ज्याद परेशान रहे। नेटबॉल से जुड़े इस सिपाही के बारे में खिलाड़ी और पीटीआई बताते हैं कि उसकी विभाग में तूती बोलती है और उसकी मर्जी के बिना खासकर नेटबॉल में निर्णायक भी तय नहीं होते हैं। बिलासपुर के आयोजन में खेल शिक्षकों को उनके सामने खड़े रहना पड़ता था, इससे खेल शिक्षक बहुत खफा हैं। खेल शिक्षकों ने बताया कि शिक्षा विभाग के अधिकारी का फरमान था कि जिन निर्णायकों के बारे में कथित सिपाही बताएंगे उनको ही रखा जाएगा। इस फरमान की अवहेलना करने का साहस किसी ने नहीं दिखाया। पीटीआई इस बात से भी भारी नाराज हैं कि विभाग के होने के बाद उन लोगों के बैठने की व्यवस्था नहीं थी और उनको जमीन में बैठना पड़ता था, जबकि उस सिपाही के लिए मैदान में बैठने की विशेष व्यवस्था की गई थी।


शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि टीमों के चयन में भी कथित सिपाही का पूरा दखल है। वे जिसे चाहते हैं टीम में रखा जाता है। अभी रायपुर में होने वाले राष्ट्रीय शालेय खेलों की नेटबॉल टीम के चयन में भी उसकी मर्जी से टीम बनाई गई है। रायपुर की कुछ खिलाडिय़ोंं को अच्छे प्रदर्शन के बाद भी टीम में नहीं रखा गया है। इस सारे मामले की शिकायत शिक्षा मंत्री से रायपुर की खिलाडिय़ों ने की है। बताया जाता है कि जब खिलाड़ी मंत्री से शिकायत करने पहुंचीं थीं तो उनको शिकायत करने से रोकने का भी प्रयास किया गया और उनको लिखित में शिकायत करने नहीं दी गई। इसके बाद भी खिलाडिय़ों ने सारे मामले के बारे में शिक्षा मंत्री को मौखिक जानकारी दी है। खिलाडिय़ों को शिक्षा मंत्री ने मामले की जानकारी लेकर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। खिलाडिय़ों की हिम्मत देखकर अब पीटीआई भी शिक्षा मंत्री से शिकायत करने की मानसिकता बना रहे हैं।


खिलाडिय़ों के साथ खेल शिक्षकों ने बताया कि बिलासपुर के पहले धमतरी में भी हुई एक स्पर्धा में इसी सिपाही के कारण विवाद हुआ था। यह सिपाही दिल्ली की राष्ट्रीय शालेय स्पर्धा में भी गया था और वहां पर उसकी मर्जी से खिलाडिय़ों को टीम में खिलाया जाता था। यही नहीं जब प्रदेश की टीम मंच पर पुरस्कार लेने गई थी तब इस सिपाही को भी शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने साथ ले गए थे।
इस सारे मामले में जानने के लिए शिक्षा विभाग के सहायक संचालक (खेल) एसआर कर्ष से संपर्क किया गया तो उनका कहना है कि जिस सिपाही के बारे में दखल की बात की जा रही है, वह एक दर्शक के रूप में आते हैं। उनके इस जवाब पर खिलाड़ी और खेल शिक्षक कहते हैं जब खेल शिक्षकों के लिए आयोजन में बैठने की व्यवस्था नहीं रहती है तो एक दर्शक के लिए विभाग क्यों कर बैठने का व्यवस्था करता है। इसी के साथ दिल्ली में जब प्रदेश की टीम पुरस्कार लेने मंच पर गई तो एक दर्शक को कैसे प्रदेश की टीम के साथ पुरस्कार लेने के लिए जाने की इजाजत दे दी गई। खिलाडिय़ों और खेल शिक्षकों का कहना है कि इस सारे मामले की जांच शिक्षा मंत्री को करवानी चाहिए क्योंकि इससे शिक्षा विभाग की छवि खराब हो रही है।

2 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

चाय से ज्यादा केतली को गरम होना पड़ता है,नहीं तो चाय ठंडी नहीं हो जायेगी,सिपाही होता ही महत्वपूर्ण है,बिन सिपईहा सब सून,बधाई हो,

admin ने कहा…

ऐसा देश है मेरा।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

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