गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

हमें देशी खेल भाते हैं

आज भले अपने देश में सबसे ज्यादा क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी हैं, पर अपने देशी खेल कबड्डी और खो-खो के भी कम दीवाने नहीं हैं। ग्रामीण अंचल में इसी खेलों को ज्यादा पसंद किया जाता है। डुमरतराई में इन खेलों के ही खिलाड़ी ज्यादा हैं। कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर भी खेल चुके हैं। स्कूलों में पढऩे वाले इन खिलाडिय़ों को इस बात का मलाल है कि वे स्कूल की राष्ट्रीय स्पर्धाओं में नहीं खेल पाते हैं, लेकिन अब इनकी यह तमन्ना भी पूरी हो जाएगी।
देशी खेलों कबड्डी के साथ खो-खो में भी राष्ट्रीय स्तर के साथ राज्य स्तर पर खेलने वाले जितेन्द्र कुमार साहू, भारत कुमार साहू, रामखिलावन साहू, हरिशंकर साहू, डागेश्वर साहू, विष्णु साहू, मनोज पटेल, हेमा माहेश्वरी, लक्ष्मी साहू, भुनेश्वरी साहू, प्रमिला साहू, कल्पना चन्द्रवंशी, तृप्ति साहू, मोहनी यादव, सुजाता ताम्रकार, संगीता धीवर, खुशबू साहू, दामिनी साहू, यशवंती साहू, हेमकुमारी साहू, प्रीति शर्मा, जानकी साहू, खिलेश्वरी ध्रुव, नंदनी यादव का एक स्वर में कहना है कि हमें क्रिकेट जैसा खेल बिलकुल पसंद नहीं है। इनका कहना है कि हमें देशी खेल कबड्डी और खो-खो इसलिए भी पसंद है क्योंकि इस खेल के लिए किसी भी तरह के सामान की जरूरत नहीं पड़ती है। इन खिलाडिय़ों में से ज्यादातर खिलाड़ी ओपन राष्ट्रीय स्पर्धा में खेल चुके हैं, बाकी खिलाड़ी राज्य स्तर पर खेल हैं। श्रीराम शर्मा शासकीय उमा शाला में पढऩे वाले इन खिलाडिय़ों को अब तक स्कूली स्तर की स्पर्धाओं में खेलने का मौका नहीं मिल पाया। कारण पूछने पर ये कहते हैं कि उनके स्कूल में खेल शिक्षक न होने के कारण कोई उनको ले जाने वाला नहीं था लेकिन अब हमारे स्कूल में एक खेल शिक्षिका सरिता चन्द्राकर आ गई हैं। इसी के साथ हमारे स्कूल के नए प्राचार्या आएन त्रिवेदी भी खेलों की तरफ ध्यान देते हैं। हमारे स्कूल में कबड्डी , खो-खो के साथ वालीबॉल का भी मैदान है।

स्कूली स्पर्धाओं में भेजेंगे खिलाडिय़ों को

स्कूल की खेल शिक्षिका सरिता चन्द्राकार का कहना है कि अब स्कूल के किसी भी खिलाड़ी को स्कूली की किसी भी स्तर की स्पर्धा से वंचित नहीं रखा जाएगा। स्कूल में हमने पहली बार वार्षिक खेल-कूद स्पर्धा का भी आयोजन किया है। इसमें खिलाडिय़ों ने काफी उत्साह के साथ भाग लिया है। उन्होंने बताया कि इसके पहले वह परसदा स्कूल में थीं और सुविधाएं न होने के बाद भी वहां से एक दर्जन से ज्यादा खिलाड़ी राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खेले हैं।

सुविधाएं देने का प्रयास करेंगे

स्कूल के प्राचार्या आरएन त्रिवेदी कहते हैं कि वे खुद एक खिलाड़ी रहे हैं ऐसे में वे खिलाडिय़ों की परेशानी समङाते हैं। उन्होंने कहा कि खेलों के लिए स्कूल में फंड कम रहता है, फिर भी खिलाडिय़ों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने के प्रयास किए जाएंगे।

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