प्रदेश के खेल संघों के साथ स्कूल और कॉलेज की जितनी भी टीमें राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलने जाती हैं किसी भी टीम का बीमा कराने की जहमत कोई नहीं उठाता है। खेल विभाग में बीमा कराने के लिए पैसे देने का प्रावधान है और विभाग पैसे तैयार भी है। ऐसे में जबकि सारे खेल संघ इस दिशा में निष्क्रिय बैठे हैं, प्रदेश के नेटबॉल संघ ने एक पहल करते हुए अपनी टीम का बीमा कराने की पहल की है। संघ के सचिव संजय शर्मा बताते हैं कि हमने करीब ३१ लाख का बीमा कराया। एक खिलाड़ी का बीमा कराने के लिए महज ५०-६० रुपए ही लगते हैं, इसके बाद भी कोई बीमा नहीं करता है।
राष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में खेलने के लिए प्रदेश की टीमें कई स्तरों पर जाती हैं। खेल संघों की जो टीम खेलने जाती हैं, उन टीम के खिलाडिय़ों को बीमा कराने के नियम प्रदेश के खेल विभाग ने अपने २००५ के प्रोत्साहन नियम में बनाएं हैं। इन नियमों के बनने के पांच साल बाद भी कोई खेल संघ खिलाडिय़ों का बीमा करना जरूरी नहीं समङाता है। भले अब तक किसी खिलाड़ी के साथ कोई बड़ी घटना नहीं हुई है, लेकिन जब खेल विभाग पैसे देने तैयार है तब भी क्यों कर खेल संघ बीमा नहीं कराते हैं यह बात समङा से परे हैं।
एक तरफ जहां सारे खेल संघ निष्क्रिय बैठे हैं, वहीं नेटबॉल संघ ने एक पहल करते हुए अपने खिलाडिय़ों को ३१ लाख का बीमा करवा लिया है। संघ से संजय शर्मा बताते हैं कि एक खिलाड़ी का बीमा करावने के लिए महज ५० से ६० रुपए खर्च होते हैं, और यह बीमा एक साल काम आता है। उन्होंने बताया कि कल ही हमारी सब जूनियर टीम नासिक खेलने गई है। इस टीम का भी हमने बीमा करवाया है।
प्रदेश वालीबॉल संघ के मो। अकरम खान ने पूछने पर कहा कि अब तक उनके संघ ने खिलाडिय़ों का बीमा नहीं करवाया है, पर अब कोई भी टीम बिना बीमा करवाए नहीं जाएगी।
खेल संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि हमारा विभाग पैसे देने तैयार है, खेल संघों को बीमा करवाके ही टीमें भेजनी चाहिए। उन्होंने बताया कि हमारा विभाग खेल संघों को जो अनुदान देता है उस अनुदान के साथ ही यह नियम बनाया है कि राष्ट्रीय स्पर्धाओं में जो भी टीमें खेलने जाएंगी उनका बीमा खेल संघों को करवाना है। वे पूछने पर कहते हैं कि खेल संघों पर कड़ाई करना तो संभव नहीं होगा, लेकिन उनसे इस दिशा में गंभीरता से ध्यान देने के लिए जरूर कहा जाएगा। उन्होंने नेटबॉल संघ की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इस संघ का सभी संघों को अनुशरण करना चाहिए।
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