मंगलवार, 2 फ़रवरी 2010

एस्ट्रो टर्फ होने से आएंगी नामी टीमें

अखिल भारतीय नेहरू स्वर्ण कप हॉकी की तैयारियां जोरों पर

प्रदेश की राजधानी रायपुर में होने वाली नेहरू स्वर्ण कप हॉकी की तैयारियों जोरों पर है। आयोजक एथलेटिक क्लब इस बार भी नामी टीमों को बुलाने की तैयारी में है। कुछ टीमों ने आने के लिए हामी भी भर दी है, पर एस्ट्रो टर्फ न होने के कारण देश की मुख्य नामी टीमें आने को तैयार नहीं होती हैं। स्पर्धा के लिए भारत की जूनियर इंडिया टीम को भी बुलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ की पुरानी हॉकी स्पर्धाओं में से एक नेहरू स्वर्ण कप हॉकी स्पर्धा का आयोजन नेताजी स्टेडियम में १३ फरवरी से होना है। इस स्पर्धा के लिए मैदान बनाने की मशक्कत प्रारंभ हो गई है। हर साल स्पर्धा से पहले मैदान बनाने के लिए कम से कम एक माह तक जुटना पड़ता है। एक माह के समय में मैदान बनाने के लिए करीब ६० से ७० हजार रुपए भी आयोजकों को खर्च करने पड़ते हैं। आयोजक एथलेटिक क्लब के पदाधिकारी सुबह से लेकर शाम तक मैदान को ठीक करवाने में लगे हैं। एक तरफ जहां पदाधिकारी मैदान को सजाने में जुटे हैं, वहीं देश की नामी टीमों को भी बुलाने की कोशिशें हो रही हैं। क्लब के महासचिव हफीज यजदानी बताते हैं कि अब तक सबसे बड़ी टीम के रूप में चेन्नई पुलिस की टीम ने आने की सहमति दी है। इसी के साथ पिछले साल यहां खेलने आई भारतीय टीम के खिलाडिय़ों धनराज पिल्ले और गोलकीपर आशीष बलाल की अकादमी की टीम के भी आने की सहमति मिल गई है।

श्री यजदानी बताते हैं कि भारतीय की जूनियर इंडिया टीम को भी बुलाने के प्रयास चल रहे हैं। उन्होंने संभावना जताई कि इस टीम के आने की उम्मीद है। इसी के साथ और कई नामी टीमों से संपर्क किया जा रहा है। उन्होंने पूछने पर बताया कि इस मैदान में तीन साल पहले पाकिस्तान की दो टीमों कराची और लाहौर के साथ बंगलादेश की टीम को भी बुलाया गया था। स्पर्धा में हम फिर से बाहर के देशों की टीमों को बुलाना चाहते हैं।


स्पर्धा में नामी टीमों के न आने का कारण क्लब के महासचिव हफीज यजदानी के साथ इदरीश बारी, नोमान अखरम हामिद, मंसूर अहमद खान, एस। अयाज अली, परवेज शकीलुद्दीन, अमीनुद्दीन और देवेश शुक्ला बताते हैं कि आज देश भर में जितनी भी ऊंचे दर्जे की स्पर्धाएं हो रही हैं सब एस्ट्रो टर्फ पर होती हैं। बिना एस्ट्रो टर्फ के नामी टीमें खेलना नहीं चाहती हैं। ऐसे में कैसे उम्मीद की जाए कि चट मैदान में आकर नामी टीमें खेलेंगी। फिर भी इस स्पर्धा की देश में अलग साख है जिसके कारण कुछ नामी टीमों को बुलाने में सफलता मिल जाती है। फिर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि नामी टीमों को बुलाने के लिए पैसे भी बहुत ज्यादा खर्च होते हैं। स्पर्धा के लिए एक मात्र खेल विभाग से ७५ हजार का अनुदान मिलता है और नगर निगम से ५० हजार की राशि मिलती है। इतने कम पैसों में कैसे नामी टीमों को बुलाया जा सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह हर साल क्लब को आयोजन के लिए जितनी ज्यादा राशि हो सकती है देते हैं। इसी के साथ कुछ प्रायोजकों की वजह से स्पर्धा हो जाती है।

नेताजी स्टेडियम में भी लगे एस्ट्रो टर्फ

सारे पदाधिकारी एक स्वर में कहते हैं कि मुख्यमंत्री ने यहां पर एस्ट्रो टर्फ लगाने की घोषणा की है तो यहां पर एस्ट्रो टर्फ लगाना चाहिए। इन्होंने कहा कि हमारा साइंस कॉलेज के मैदान में एस्ट्रो टर्फ लगाने का कोई विरोध नहीं है, लेकिन इस मैदान पर जहां पर बरसों से नेहरू स्वर्ण कप हॉकी का आयोजन हो रहा है तो इस आयोजन की भावना को ध्यान में रखते हुए यहां एस्ट्रो टर्फ लगाने का काम सरकार को करना चाहिए। अगर राजधानी में दो एस्ट्रो टर्फ हो जाएंगे तो इसका खिलाडिय़ों को फायदा ही मिलेगा।

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

जानकारी का आभार!

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