सोमवार, 8 फ़रवरी 2010

चार दिन रस्सी कूदी और मिल गया पदक

स्कूली खेलों में शामिल एक नए खेल रोप स्कीपिंग के लिए महज चार दिनों तक ही रस्सी कूदने के बाद दानी स्कूल की तीन खिलाडिय़ों को कांस्य पदक मिल गया। इस नए खेल की राष्ट्रीय स्पर्धा का आयोजन राजनांदगांव में किया गया था। इस स्पर्धा में हॉकी का स्वर्ण पदक जीतने वाली प्रदेश की टीम में भी एक खिलाड़ी दानी स्कूल की थीं। पहली बार में ही कांस्य पदक जीतने वाली खिलाडिय़ों में उत्साह है और अब वे इस खेल में और आगे बढऩा चाहती हैं।

राष्ट्रीय स्कूली खेलों में पहली बार शामिल किए गए रोप स्कीपिंग की मेजबानी छत्तीसगढ़ को मिली थी। इस खेल से प्रदेश के खिलाड़ी पूरी तरह से अंजान थे। ऐसे में जब पहली बार तिल्दा में राज्य स्पर्धा का आयोजन किया गया तो इस स्पर्धा के लिए रायपुर जोन की टीम में जिन ६ खिलाडिय़ों का चयन किया गया वो सभी खिलाड़ी दानी स्कूल की थीं। इन खिलाडिय़ों को इस खेल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। ऐसे में इन खिलाडिय़ों को इस खेल से परिचित कराने का पहला काम स्कूल की खेल शिक्षिका ज्योति बजाज ने किया। उन्होंने खिलाडिय़ों को बताया कि रोप स्कीपिंग औैर कुछ नहीं बल्कि रस्सी कूद है जो हर खिलाड़ी अपनी फिटनेस के लिए करता है। अपनी खेल शिक्षिका से इस खेल के बारे में जानकारी लेकर जब खिलाड़ी राज्य स्पर्धा में खेलने उतरीं तो यहां पर रायपुर की टीम विजेता बन गई। ऐसे में दानी स्कूल की तीन खिलाडिय़ों पूनम दीप, सीमा सेन और मंजु ध्रुर्वे का चयन प्रदेश की टीम में हो गया। तीन अन्य खिलाड़ी राजनांदगांव और जशपुर के साथ दुर्ग की भी एक-एक खिलाड़ी को टीम में रखा गया।

प्रदेश की टीम को तकनीकी जानकारी देने का काम पिताम्बर पटेल ने किया। इसके बाद जब राजनांदगांव में राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन किया गया तो वहां पर प्रदेश की जिस रिले टीम ने डबल डज में कांस्य पदक जीता, उस टीम में दानी स्कूल की यही तीन खिलाड़ी शामिल थीं। ये खिलाड़ी पूछने पर बताती हैं कि उनको यकीन ही नहीं हुआ कि महज चार दिनों के अभ्यास में ही हमारे हाथ पदक लग गया। इनका कहना है कि यह खेल उनको अच्छा लगा है, अब इस खेल से नाता बनाए रखेंगी। पूनम पूछने पर कहती हैं कि वैसे तो वह फुटबॉल की खिलाड़ी हैं, पर इस खेल को भी खेलेंगी। यही बात कहते हुए सीमा बताती हैं कि वह बास्केटबॉल की खिलाड़ी हैं। मंजु पहली बार किसी खेल से जुड़ी हैं। वैसे उनको रग्बी में रूचि है और वह कहती हैं कि अब वह रग्बी भी खेलेंगी। इन खिलाडिय़ों का कहना है कि उनको अपने स्कूल में खेल शिक्षिका ज्योति बजाज के साथ प्राचार्य विजय कुमार खंडेलवाल का प्रोत्साहन हमेशा मिलता है।

बस एक मैदान चाहिए खेलने के लिए

राष्ट्रीय स्कूली खेलों की अंडर १४ साल की हॉकी स्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाली प्रदेश टीम की सदस्य रहीं रूचि बुंदेल का कहना है कि हमारी टीम ने राजनांदगांव में जोरदार प्रदर्शन किया और फाइनल में ङाारखंड में को मात देकर स्वर्ण जीता। उन्होंने बताया कि हमारी टीम ने विद्याभारती की टीम को १८-० से पीटा था। कक्षा ८ वीं की यह छात्रा पूछने पर बताती हैं कि वह तीन सालों से हॉकी खेल रही हैं। पुलिस मैदान में एनआईएस कोच रश्मि तिर्की से नियमित प्रशिक्षण लेने वाली यह खिलाड़ी कहती हैं कि राजधानी रायपुर में मैदान की कमी सबसे ज्यादा खलती है। हम बालिका खिलाडिय़ों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। बालकों को तो नेताजी स्टेडियम में अभ्यास करने का मौका मिल जाता है, पर हमारे लिए कोई मैदान है ही नहीं। उन्होंने कहा कि एक मैदान की व्यवस्था तो करनी ही चाहिए सरकार को।

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