में खेल विभाग से राज्य के ३८ मान्यता प्राप्त संघ हैं। लेकिन आश्चर्यजनक यह है कि राजधानी रायपुर में महज ६ खेल संघों ने जिला स्तर की मान्यता ली है। खेल विभाग से मान्यता लेने वाले संघों को खेल विभाग से अनुदान के साथ और भी बहुत सारी सुविधाएं मिलती हैं, इतना सब होने के बाद खेल संघों का मान्यता न लेना समङा से परे है। खेल संघों की मांग पर ही खेल विभाग ने मान्यता के नियमों में शीथिलता भी लाई है, लेकिन उसके बाद भी हालत यह है कि संघ मान्यता लेने में रूचि नहीं लेते हैं।
प्रदेश में खेलों संघों को खेल एवं युवा कल्याण विभाग से मान्यता लेने पर जहां सामान्य अनुदान मिलता है, वहीं किसी भी स्पर्धा में खेलने जाने पर आने-जाने का खर्च मिलता है। विभाग ने राज्य संघों के लिए यह नियम बना रखा है कि कम से कम ११ जिलों में जिला संघ होने पर ही राज्य संघों को मान्यता मिलेगी। ऐसे में प्रदेश के ३८ खेल संघों ने राज्य स्तर की मान्यता इस आधार पर ले रखी है कि उनके ११ जिलों में संघ है। ११ जिलों में संघ होने की बात करते हुए मान्यता लेने वाले संघों पर नजरें डालने से एक आश्चर्यजनक बात का खुलासा होता है कि इन संघों ने दूर-दराज के जिलों तो मान्यता ले ली है, पर राजधानी में मान्यता लेने जरूरी नहीं समङाा है। राजधानी में मान्यता प्राप्त कितने खेल संघ है इसकी जानकारी लेने राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि महज ६ खेल संघ जिनमें बैडमिंटन, कबड्डी, कैरम, टेबल टेनिस, जिम्नास्टिक और फुटबॉल शामिल हैं, इन खेल संघों ने ही मान्यता ली है। प्रदेश में सबसे ज्यादा लोकप्रिय खेलों बास्केटबॉल, हैंडबॉल, हॉकी, भारोत्तोलन, वालीबॉल के साथ कई खेल संघों ने जिनको राज्य स्तर पर मान्यता है जिला संघों को मान्यता दिलाना जरूरी नहीं समङाा।
मान्यता न होने से खिलाडिय़ों से लिए जाते हैं पैसे
राज्य संघों की मान्यता होने के बाद भी जिला संघों की मान्यता न होने का नुकसान खिलाडिय़ों को उठाना पड़ता है। खेल विभाग राज्य स्तर की स्पर्धा में खेलने जाने वाले खिलाडिय़ों को आने-जाने का खर्च देता है। लेकिन मान्यता न होने वाले संघों को यह फायदा न मिल पाता है। ऐसे संघों के पदाधिकारी राज्य स्पर्धा में टीमें भेजने के लिए खिलाडिय़ों ने पैसे लेते हैं। खिलाड़ी यदा-कदा इसकी शिकायत भी करते हैं, लेकिन वे खुलकर इसलिए नहीं बोल पाते हैं क्योंकि उनको मालूम है कि अगर वे बोले तो टीम से उनका पत्ता कट कर दिया जाएगा।
कागजों में तो चल रहे हैं खेल संघ
जानकारों की मानें तो राज्य संघों ११ जिलों में खेल संघ होने की जानकारी देकर खेल विभाग से मान्यता ली है, उनके ज्यादातर जिला संघ कागज में चल रहे हैं। अगर ऐसा नहीं है तो राजधानी में इन संघों ने जिला संघों को क्यों नहीं मान्यता दिलाई है। राजधानी के बारे में सभी जानते हैं कि यहां पर किसी तरह का फर्जीवाडा नहीं चल सकता है। यही कारण है कि यहां पर खेल संघों को मान्यता दिलाने से राज्य खेल संघ कतराते हैं।
खेल संचालक भी अजरज में
इस बारे में जब खेल संचालक जीपी सिंह से बात की गई और उनको बताया गया कि राजधानी में महज ६ खेल संघों ने ही मान्यता ली है तो वे भी अचरज में पड़ गए। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी मान्यता प्राप्त ३८ खेल संघों को जिला स्तर पर मान्यता लेकर खेल विभाग से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेल संघों की मांग पर ही ११ जिलों के स्थान पर ८ जिलों का भी नियम बनाया गया है ताकि ऐसे खेलों को परेशानी न हो जो खेल नए हैं। किसी भी खेल संघ का कम से कम राजधानी में मान्यता प्राप्त संघ तो अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
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